मां बनना एक ऐसा अनुभव है, जिसके पूरा होने का सपना अधिकांश महिलाएं देखती हैं । हालांकि, बदलते समय और जीवनशैली के साथ, इस प्राकृतिक प्रक्रिया में उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पर, समस्या है तो समाधान भी है। जिन महिलाओं को मां बनने में परेशानी पेश आ रही है उनके लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक समाधान है। गर्भावस्था की एक कृत्रिम प्रक्रिया होने की वजह से आईवीएफ में काफी सावधान रहने की जरूरत होती है । इस दौरान महिलाओं को अपने आहार और व्यायाम को लेकर भी सतर्क रहने की जरूरत होती है। हमारी डाइट का शरीर की हरेक गतिविधि पर असर पड़ता है। आपका आहार, आपके हॉर्मोन के निर्माण, सीमन निर्माण, एग की संख्या, एग की क्वालिटी, आपके गर्भाशय की परत की क्वालिटी और प्रजनन संबंधी अन्य प्रक्रियाओं पर असर डालता है। ऐसे दंपति, जो आईवीएफ के जरिये मातृत्व के सफर की शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए सही आहार पहले से ज्यादा जरूरी हो जाता है।
आईवीएफ और आहार
आईवीएफ की सफलता में एंटी-इंफ्लामेट्री खाद्य पदार्थों की अहम भूमिका होती है। इसके लिए प्रोसेस की हुई चीजें, फास्ट फूड और शक्कर की मात्रा डाइट में कम करें। सेहतमंद फैट्स जैसे साबुत अनाज, फल व सब्जियां और स्वच्छ प्रोटीन जैसे मछली, फलियां और कम वसा वाली पॉल्ट्री, एंटी-इंफ्लामेट्री खाद्य पदार्थों को आहार का हिस्सा बनाएं। साबुत अनाज और नट्स, गर्भाशय की परत को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं। सोया प्रोडक्ट्स भी आईवीएफ करवा रही महिलाओं के लिए फायदेमंद माने जाते हैं।
Denne historien er fra July 30, 2022-utgaven av Anokhi.
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