बढ़ती उम्र के साथ हर व्यक्ति के शरीर में बदलाव आता है। पर, महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव उनकी जिंदगी को ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। कभी पीरियड शुरू होने के बाद होने वाले हार्मोनल बदलावों से उन्हें जूझना होता है, तो कभी गर्भावस्था की समस्याएं। कभी प्रसव के बाद शरीर में होते बदलाव तो कभी मेनोपॉज के बाद मूड स्विंग और तमाम शारीरिक उथल-पुथल। इन सबसे निपटना यकीनन महिलाओं के लिए आसान नहीं होता। जिंदगी के तनाव व हार्मोन असंतुलन साथ मिलकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। नतीजा, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस), अनियमित पीरियड्स, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस), अनिंद्रा और तनाव सरीखी ढेरों समस्याएं। पर, इन तमाम समस्याओं का समाधान आपको एक जगह से मिल सकता है और वह है, आयुर्वेद। आयुर्वेद की पंचकर्म थेरेपी एक ऐसा नाम है जो महिलाओं के शरीर के ढेरों दोषों को संतुलित करने का काम करती है। आयुष मंत्रालय के सीसीआरएएस विभाग के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डॉ. अनिल मंगल की मानें तो पंचकर्म में किए जाने वाले कर्मों का मुख्य उद्देश्य दूषित वात, पित्त, कफ दोषों को पेट में लाकर मुंह से या फिर गुदामार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकालना है। यह शरीर को दोषों से मुक्त और शुद्ध करता है, जिससे शरीर फिट होता है और साथ ही पाचन भी दुरुस्त रहता है।
क्या है पंचकर्म?
Denne historien er fra August 19, 2023-utgaven av Anokhi.
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डॉक्टरी निगरानी में रहना है जरूरी
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घर की थाली में कितना है पोषण?
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