छोटी उम्र और मोटे-मोटे चश्मे...गैजेट्स के जिंदगी में बढ़ते दखल और खानपान के मामलों में बढ़ते नखरों की वजह से अब यह आम बात हो चुकी है। पर, आंखों से जुड़ी परेशानियां सिर्फ आंखों की कमजोर रोशनी तक सीमित नहीं है। इसका असर बच्चे के सीखने की क्षमता पर भी पड़ता है। आंखों की कमजोर रोशनी के कारण कई बच्चों के लिए कागज पर महीन छपाई और यहां तक कि ब्लैकबोर्ड पर पढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। इससे विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चे को ऐसा महसूस होता है कि वे पिछड़ रहे हैं।
जरूरी है जल्द डॉक्टरी परामर्श
एक बच्चे के जीवन के पहले तीन वर्ष उसके समग्र विकास के लिए बहुत अहम होते हैं, जब उनके व्यक्तित्व के विकास की नींव तैयार होती है। अपने जीवन के पहले तीन वर्षों के दौरान बच्चा सबसे न्यूरल सर्किट ग्रहण करता है, जो कुछ नया सीखने और अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। कम उम्र में ही डॉक्टरी मदद से आंखों की रोशनी कमजोर होने के बावजूद बच्चे को यह सिखाया जा सकता है कि वह अपने हाथ और आंखों के बीच कैसे बेहतर सामंजस्य स्थापित करे। आंखों से जुड़े व्यायाम की मदद से आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है।
जरूरी है आंखों की सालाना जांच
Denne historien er fra February 10, 2024-utgaven av Anokhi.
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