मैं तंग आ चुकी हूं, सुयश का कुछ समझ ही नहीं आता। जब देखो अपने मन की ही करता रहता है। अब और बर्दाश्त नहीं होता।
निहारिका की इन आए दिन की शिकायतों का तोड़ निकालते हुए उसकी मम्मी ने कहा, ठीक है फिर तुम उसे छोड़कर हमारे पास वापस आ जाओ। मां के इन शब्दों ने निहारिका को हिला कर रख दिया। वह सोच में पड़ गई की ऐसे कैसे अपने पति को छोड़ आऊं। सुयश ने ऐसा भी कुछ नहीं किया है जो उसे छोड़ना पड़े। मां निहारिका के भाव समझ चुकी थीं और फिर मुस्कुराते हुए बोलीं, ये कागज लो और इसमें एक तरफ वे सभी बातें लिखो जो तुम्हें सुयश में पसंद नहीं हैं और दूसरी तरफ वे सभी बातें लिखो जिनके कारण तुम सुयश को प्यार करती हो। निहारिका ने ठीक वैसा ही किया और उसे अहसास हुआ कि उसकी नाराजगी सुयश से इतनी बड़ी भी नहीं थी। उसे समस्याएं बस बड़ी नजर आ रही थीं।
ऐसा अकसर इस तरह के करीबी रिश्ते में हो जाता है और न चाहते हुए भी एक दरार मन में आने लगती है। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप अपने रिश्तों के उन पहलुओं पर भी गौर करें, जो रिश्ते को मजबूत और खूबसूरत बनाते हैं। इस बाबत मनोचिकित्सक डॉक्टर उन्नति मार कहते हैं कि हमें प्यार करना बॉलीवुड सिखाता है, लेकिन प्यार और रिश्ता निभाना खुद ही सीखना पड़ता है। अकसर युवा एकदूसरे के साथ रिश्ते में आने पर सिर्फ एकदूसरे पर ही गौर करते हैं और अव्यवहारिक उम्मीदें रखने लगते हैं। लेकिन सच तो यह है कि शादी के बाद दो परिवार एक होते हैं और फिर दैनिक जीवन के भी अपने संघर्ष होते हैं। समस्या यहीं से शुरू होती है। इसलिए जरूरी है कि परियों की कहानी से निकलकर यह समझा जाए कि बेबात के तनाव के अलावा रिश्ते में कौन-सी ऐसी बातें हैं, जो उसे टिकाऊ बना सकती हैं। अगर आपके रिश्ते में इस तरह की मजबूती है तो कुछ भी हो जाए, उसे निभाने से पीछे नहीं हटें।
शक की कोई जगह नहीं
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लौंग दा लश्कारा
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