
पहली बार राज्य सभा की सांसद बनीं प्रसिद्ध लेखिका और उद्योगपति सुधा मूर्ति ने राज्य सभा में अपने पहले अभिभाषण में पूरे 13 मिनट तक महिलाओं की सेहत पर बात की। उनकी बातचीत के केंद्र में था, किशोरियों को दिया जाने वाला सर्विकल कैंसर का वैक्सीनेशन। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता कहा करते थे कि जब एक मां का निधन होता है, तो अस्पताल में एक मृत्यु के तौर पर दर्ज होता है, पर परिवार में एक मां हमेशा के लिए चली जाती है।' सुधा मूर्ति ने कहा कि इस वैक्सीनेशन के जरिए हम अपने देश की लड़कियों को सर्विकल कैंसर से बचा पाएंगे। यह वैक्सीन पश्चिमी देशों में पिछले बीस सालों से लोकप्रिय है। अगर सरकार चाहे तो इसकी कीमत जो अभी 1400 रुपए है, कम करके 700-800 तक ला सकती है। इस वैक्सीनेशन की वजह से हमारी लड़कियों को एक सुरक्षित भविष्य मिल सकता है।'
आलिया करती है पपी योग
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हेयर स्ट्रेटनर का नियमित इस्तेमाल करेगा नुकसान
हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम के जरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार सौंदर्य विशेषज्ञ देंगी आपके सवालों के जवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं,

मिलिए, पर्यावरण की इस अनूठी प्रहरी से
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गर्भनिरोधक गोलियां क्या वाकई हैं नुकसानदेह?
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कपड़ों से झलकेगी आपकी ताकत
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संघर्ष-सफलता का जश्न
महिला अधिकारों की बातों को हम सिर्फ एक दिन में सीमित करके नहीं रख सकते। पर, हां इस एक दिन यानी 08 मार्च को हम महिलाओं के संघर्ष और उनकी सफलता जश्न थोड़ा और ज्यादा जरूर मना सकते हैं। 1909 में पहली दफा महिला दिवस मनाया गया था। पिछले 116 सालों में हमने एक लंबा सफर तय किया है। पर, इस बात में कोई दोराय नहीं कि बराबरी और बेहतरी की राह अभी काफी लंबी है। दुनिया भर की प्रसिद्ध महिलाओं द्वारा महिला अधिकार और बराबरी के बारे में कही गई ये बातें अपने अधिकार और भविष्य को लेकर आपको जोश से भर देगीः

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महिला दिवस के बारे में जितनी बातें होती हैं, संकल्प लिए जाते हैं, वो सिर्फ खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए। इस दिन को हम सबको हल्के में लेने से बचना चाहिए, क्योंकि यह हम सबकी जिंदगी का सवाल है। क्यों हमें महिला दिवस को गंभीरता से लेना चाहिए, बता रही हैं

आप भी करती हैं हर फरमाईश पूरी?
बाल मन चंचल होता है, जो हर वक्त कुछ नया मांगता रहता है। कम मिले तो वह लालसा में रहता है और ज्यादा मिले तो जिद और क्रोध से भर सकता है। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों की मांग और उसकी पूर्ति के बीच सटीक तालमेल बैठाकर रखा जाए। कैसे साधें यह संतुलन, बता रही हैं

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हर दिन तीन दफा पूरे परिवार के लिए खाना बनाना आसान काम नहीं। ऐसे में अगर कभी कम मेहनत में कुछ स्वादिष्ट खाने का मन है, तो झटपट बना लीजिए ये तरह-तरह के चावल, रेसिपीज बता रही हैं

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आप घर-बाहर, ऑफिस... हर जगह अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती हैं, फिर आर्थिक मामलों में निर्णय लेते वक्त हाथ पीछे क्यों खींच लेती हैं? कैसे घर के आर्थिक मामलों की कमान महिलाएं अपने हाथों में ले सकती हैं, बता रही हैं

घर दिखेगा महल जैसा
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