बंद कीजिए कपड़ों की कमी का रोना
Anokhi|August 03, 2024
अलमारी खोलते ही कपड़े गिरने के लिए तैयार हैं, पर जब कहीं जाने की बारी आती है, तो आप 'क्या पहनूं' जैसे सवाल लेकर बैठ जाती हैं। कपड़ों के बेहतर मैनेजमेंट की मदद से कैसे इस समस्या से पाएं छुटकारा, बता रही हैं
शाश्वती
बंद कीजिए कपड़ों की कमी का रोना

दुनिया भर में लोगों की औसत आमदनी में इजाफा हुआ है, तो खर्च करने की ताकत भी बढ़ी है। इस ताकत को हवा देने का काम कर रही है, ऑनलाइन शॉपिंग। ऑनलाइन शॉपिंग ने न सिर्फ खरीदारी को आसान बना दिया है बल्कि बढ़ावा भी दिया है। कपड़ा और फुटवियर ब्रांड पब्लिक डिजायर द्वारा कपड़ों के बाजार, उनकी कीमत और खरीदारी संबंधी आदतों के बारे में एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में पाया गया कि एक औसत भारतीय साल में लगभग दो लाख रुपये सिर्फ कपड़ों की खरीदारी पर खर्च करता है। इन खरीदारों में महिलाएं सबसे आगे हैं।

कपड़ों की इतनी ज्यादा खरीदारी करने और कपड़ों से भरी अलमारी होने के बावजूद किसी महिला के मुंह से यह सुनना कि 'मेरे पास तो कपड़े ही नहीं हैं। क्या पहनूं ?' बहुत आम बात है। पर, जब आप अपनी आमदनी का एक अच्छा-खासा हिस्सा कपड़ों की खरीदारी पर ही खर्च कर रही हैं तो फिर किसी खास मौके पर पहनने के लिए आपके पास कपड़े क्यों नहीं होते? सच्चाई तो यह है कि आपके पास कपड़ों की कोई कमी नहीं है। समस्या सही खरदारी और उनके रख-रखाव से जुड़ी है। और यह एक ऐसी समस्या है, जिससे थोड़ी कोशिश से आप छुटकारा पा सकती हैं। क्या करें कि कपड़ों की कमी का रोना आपको कभी ना रोना पड़े, आइए जानें:

Denne historien er fra August 03, 2024-utgaven av Anokhi.

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