इस बात से हम सब कहीं ना कहीं सहमत होंगे कि डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन को बहुत हद तक आसान बना दिया है। लेकिन इस तकनीकी प्रगति का खामियाजा डिजिटल ओवरलोड के रूप में सामने आ रहा है। लैंकेस्टर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में यह पाया गया कि महिलाएं डिजिटल ओवरलोड का शिकार ज्यादा हो रही हैं। 29 देशों में किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। रोजमर्रा के कार्यों और घरेलू कार्यों को पूरा करने के लिए जूम और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है। दरअसल, विभिन्न तकनीकों के इस्तेमाल में काफी समय और मेहनत लगती है, इसलिए इसे एक नया श्रम करार दिया गया है, जिससे पुरुषों की तुलना में महिलाएं 1.6 गुना तक ज्यादा प्रभावित हैं। इस शोध में यह भी पाया गया कि महिलाओं में दफ्तर के काम को लेकर डिजिटल वर्कलोड की आशंका पुरुषों मुकाबले 31 फीसदी तक कम होती है, लेकिन परिवार से सबंधित डिजिटल लोड 2.6 गुना ज्यादा हो सकता है।
क्या है डिजिटल ओवरलोड?
यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति डिजिटल उपकरणों और सूचनाओं के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक थकान का अनुभव करने लगता है। पूरे दिन लगातार सोशल मीडिया अपडेट्स और ब्रेकिंग न्यूज देखना काम और निजी जीवन के बीच की रेखा को मिटाने लगता है। इन सबका सामूहिक प्रभाव डिजिटल ओवरलोड के रूप में सामने आता है, जिसका दुष्प्रभाव महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सेहत पर ज्यादा पड़ता है।
कामकाजी जीवन में असंतुलन
Denne historien er fra August 24, 2024-utgaven av Anokhi.
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