इन दिनों सोशल मीडिया पर एक चेहरा छाया हुआ है जो एला देव वर्मा के नाम से फेमस है. एला देव वर्मा का जन्म 25 अगस्त, 1998 को दिल्ली में हुआ था. असल में, एला देव वर्मा की कहानी देव से शुरू होती है. वह देव जो भीतर ही भीतर एक जंग लड़ रहा था. एक ऐसी जंग जो उस की खुद की थी. यह जंग खोज की थी कि वह लड़का है या लड़की. शारीरिक रूप से तो वह लड़का था लेकिन वह खुद को लड़की ही फील करता था. इसी कारण वह खुद को लड़की की ही तरह संवारता था. लड़कियों की तरह उस की अदाएं थीं.
प्यूबर्टी के समय जब लड़के और लड़कियों की बौडी में चेंजेस हो रहे होते हैं तब एला देव वर्मा की बौडी में भी चेंजेस हो रहे थे. वे चेंज जो उस ने सोचे भी न थे. उस ने तो सोचा था कि वह बड़ा हो कर लड़की जैसा दिखेगा लेकिन अब तो उस की मूंछें आने लगी थीं. उस की आवाज भारी होने लगी थी. उस का शरीर उसे संकेत दे रहा था कि वह लड़का है लेकिन उस का मन यह मानने को तैयार नहीं था.
इसी कशमकश के बीच एला देव वर्मा की जिंदगी झूल रही थी. 'जोश टौक' को दिए अपने इंटरव्यू में वह अपनी जिंदगी के बारे में बताती है कि किस तरह लड़के से लड़की बनने का उन का सफर तमाम चुनौतियों से भरा रहा. साथ ही, एला ने अपने इंटरव्यू में ट्रांस लोगों को ले कर परिवार, समाज, औरतें, नीतियों की दिक्कतों का भी खुल कर जिक्र किया, जिन पर अभी बहुत काम होना बाकी है.
किसी ने समझा नहीं
अपनी कहानी में एला कहती हैं, "ट्रांस लोगों के लिए जिंदगी जीना बिलकुल भी आसान नहीं है. सोसाइटी उन्हें हर वक्त गलत ठहराने पर तुली रहती है. बातबात पर उन्हें समझाया जाता है कि वे जो फील कर रहे हैं वह गलत है. वह बीमारी है और इस का इलाज कराना बहुत जरूरी है. लेकिन कोई उन्हें समझने की कोशिश नहीं करता है. बस, सब उन्हें समझाने में लगे रहते हैं."
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