22 साल के श्रीराम पांडेय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और कवि हैं. मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव मुड़हेरिया के रहने वाले श्रीराम को बचपन से ही कविताएं लिखने और लीडरशिप करने का शौक था. उन्हें दूसरों को कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देना भी बहुत भाता था, इसलिए उन्होंने पब्लिक स्पीकर, मोटिवेटर और इन्फ्लुएंसर के रूप में कैरियर बनाने की सोची.
उन्होंने माखनलाल यूनिवर्सिटी से एडवर्टाइजिंग एंड पीआर में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. फिलहाल वे बच्चों को मैंटल वैल बीइंग एंड स्पीकिंग सौफ्ट स्किल की ट्रेनिंग दे रहे हैं और एक एजुकेटर एंड ट्रेनर के रूप में जौब कर रहे हैं. वे पब्लिक स्पीकिंग भी सिखाते हैं. उन्होंने पिछले 5 सालों से, यानी जब वे महज 18 साल के थे काम करना शुरू कर दिया था. पहले एनजीओ के साथ और अब प्रोफैशनल कंपनीज के साथ.
आइए जानते हैं उन के जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं के बारे में-
आप की ओवरऔल जनीं कैसी रही है?
मैं स्कूलकालेज में हमेशा ही लोकप्रिय छात्र रहा. स्कूल का प्रैसिडेंट भी बना. कालेज की हर एक्टिविटी में आगे रहता था. हमेशा हंसताखेलता रहता था, इसलिए लोग मुझे बहुत पसंद करते थे. फिर जब पढ़ाई के लिए भोपाल आया तब सोशल मीडिया में भी ऐक्टिव होना शुरू हो गया. इस के साथ ही मुझे लिटरेचर का भी शौक रहा है. मैं स्कूल के समय से ही कविताएं लिखता था.
लिटरेचर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया. इस की वजह से मैं बहुत से लोगों से मिला. भोपाल आ कर मैं ने ओपन माइक पर शुरुआत की और फिर बड़े मंच पर भी कविताएं व शायरियां पढ़ीं. मैं ने सोशल मीडिया पर भी अपनी कविताओं और शायरी का जादू चलाना शुरू किया.
इसी दौरान विश्वरंग नामक लिटरेचर संस्था से जुड़ा, जो एक लिटरेचर फैस्टिवल का आयोजन करती है. भोपाल में इस के 4 संस्करण हो चुके हैं. इस से प्रेरित हो कर मैं ने अपनी एक संस्था साहित्य मंडली की स्थापना की. इसे ले कर कुछ कार्यक्रम भी किए, फिर माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भी साहित्य मंडली द्वारा लिटरेचर फैस्टिवल की शुरुआत की.
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बौडी लैंग्वेज से बनाएं फ्रैंडली कनैक्शंस
बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
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दीवाली के मौके पर सट्टा खूब खेला जाता है, इसे धन के आने का संकेत माना औनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहे हैं. मटकों और जुआखानों की युवा जाता है. जगह आज औनलाइन सट्टेबाजी ने ले ली है, जो युवा पीढ़ी को बरबाद कर रही है.
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युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया हद से ज्यादा हावी होने लगा है. उन में इस का एक तरह से एडिक्शन सा हो गया है. ऐसे में जरूरी है समयसमय पर इस से डिटोक्स होने की.
दीवाली नोस्टेलजिया से बचें
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सैल्फमेड ऐक्ट्रैस अलाया एफ
बौलीवुड में अलाया का ताल्लुक भले फिल्मी परिवार से रहा लेकिन काम को ले कर चर्चा उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर हासिल की. उन्हें भले स्टार वाली सफलता अभी हासिल न हुई पर उन के हिस्से में कुछ अच्छी फिल्में जरूर आई हैं.
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