अहाना और अनुराग पिछली दीवाली भूल नहीं सकते. दीवाली की रात को ही उन्हें पापा को अस्पताल ले जाना पड़ा था. दीवाली के दिन दीवाली में धुएं के कारण फैले पौलुशन के चलते ब्रोन्कियल अस्थमा के मरीज उन के पापा को ज्यादा तकलीफ हो गई और नौबत उन्हें अस्पताल में एडमिट करने की पहुंच गई.
अब चाहे ईकोफ्रेंडली दीवाली का जितना मरजी प्रचार हो मगर लोग बमपटाखे चलाने से कहां बाज आते हैं. उन के घर की ऊपरी मंजिल में रहने वाले बजाज अंकल के घर दीवाली पर बच्चे बड़े सब पटाखे चला रहे थे. उस ने उन्हें टोका भी कि धुआं बहुत फैल रहा है, उन के घर में भर रहा है. उन के बेटे ने कहा, 'यार अनुराग, मजे करो, पटाखे फोड़ो, शोर मचाओ - जिंदगी न मिलेगी दोबारा.' अब बताइए जरा, जिंदगी रहेगी तब तो न जिंदगी जिएंगे.
सो, इस साल अनुराग और अहाना ने ठान लिया कि इस बार दीवाली से पहले ही वे मम्मी पापा के संग किसी हिल स्टेशन पर चले जाएंगे. पिछले साल वाली नौबत नहीं आने देंगे. आखिरकार सारी भागदौड़ तो उन्हें ही करनी पड़ जाती है. युवा बच्चे हैं, पेरैंट्स की देखभाल की जिम्मेदारी अब उन की भी बनती है.
उन्होंने सोच तो लिया था लेकिन दोनों भाईबहन को समझ नहीं आ रहा था कि सारी प्लानिंग की जाए तो किस तरह क्योंकि पेरैंट्स को एक तरह से वे सरप्राइज ट्रिप देना चाहते थे. सारा कुछ खुद मैनेज करना था लेकिन कुछ प्लानिंग के साथ.
अनुराग और अहाना की तरह आप भी इस दीवाली पर कुछ इस तरह का प्लान कर रहे हैं, लेकिन प्लानिंग करने में दिक्कत आ रही है तो आप की मुश्किल हम आसान कर देते हैं कुछ सजेशन दे कर.
• सब से पहले आप को यह देखना होगा कि पेरेंट्स की पसंद के हिसाब से कौन सी जगह अच्छी होगी. वह जगह शहर से दूर शांत प्राकृतिक स्थान हो या हिल स्टेशन.
• परिवार के सभी सदस्यों के शैड्यूल को ध्यान में रखते हुए डेट फिक्स करें ताकि सभी आराम से ट्रैवल कर सकें.
• ट्रैवल बजट बनाएं, जिस में ट्रिप, ठहरने, खाने और घूमने फिरने के खर्च शामिल हों. बजट को पेरैंट्स से सलाह लिए बिना अच्छी समझ के अनुसार मैनेज करने की कोशिश करें ताकि यह सरप्राइज बना रहे. चाहें तो किसी ऐसे की हैल्प ले सकते हैं जिस ने उस जगह हाल ही में ट्रैवल किया हो.
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