चुनावी राज्यों में नेतृत्व का भ्रम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त, 2023 को भोपाल में मध्य प्रदेश सरकार का पिछले बीस साल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया. इस कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "शिवराज जी मुख्यमंत्री हैं ही. पार्टी का काम आप क्यों देखने लगे हो. पार्टी का काम है, हम तय करेंगे. हम चुनाव में हैं. पार्टी अपना काम करेगी." शाह के इस बयान के बाद इसकी संभावना कम ही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे. इसी तरह की स्थिति पड़ोसी छत्तीसगढ़ में भी दिख रही है. भाजपा सरकार में बतौर मुख्यमंत्री भले ही रमन सिंह ने तीन कार्यकाल पूरे किए हों लेकिन प्रदेश के चुनावों में पार्टी बगैर मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किए उतरने की तैयारी कर रही है. चुनावी राज्य राजस्थान में वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रही हैं लेकिन भाजपा ने इस ने राज्य में भी सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का मन बनाया है. इन तीनों राज्यों में तकरीबन दो दशक से एक स्थापित नेतृत्व रहा है. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की दृष्टि से तीनों राज्यों में भाजपा में नेतृत्व के स्तर पर भ्रम और असमंजस की स्थिति दिख रही है.
मध्य प्रदेश
2018 के चुनावों में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने के बाद मार्च, 2020 में कुछ बागी कांग्रेसी विधायकों के बूते भाजपा ने सत्ता में वापसी कर ली. चौहान चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. लेकिन अब तक भाजपा के किसी प्रमुख राष्ट्रीय नेता ने सार्वजनिक तौर पर यह नहीं कहा है कि चौहान ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं, "व्यक्ति नहीं, कमल का फूल ही हमारा उम्मीदवार होगा."
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