श्रीनगर में बदलने लगी 'आबोहवा'
India Today Hindi|October 11, 2023
कश्मीर में लंबे अंतराल तक सियासी गतिविधियों के बाधित रहने के बाद कुछ नए घटनाक्रम बदलती ‘आबोहवा' का संकेत दे रहे हैं और इन्हें लेकर लोगों में खासी दिलचस्पी भी जगी है.
मोअज्जम मोहम्मद
श्रीनगर में बदलने लगी 'आबोहवा'

22 सितंबर को ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को करीब चार साल बाद नजरबंदी से रिहा किया गया और बतौर इमाम श्रीनगर की जामा मस्जिद में नमाज की अगुआई की भी अनुमति मिली. उनसे पहले दो अन्य मौलवियों को जम्मू की कोट भलवाल जेल से रिहा किया गया था. सलफी उपदेशक मुश्ताक अहमद वीरी और बरेलवी मौलवी अब्दुल रशीद दाऊदी दोनों के खिलाफ सितंबर 2022 में 'युवाओं को उकसाने ' के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. दक्षिण कश्मीर में अच्छा-खासा प्रभाव रखने वाले तहरीक-ए-सौतुल औलिया के प्रमुख दाऊदी की गिरफ्तारी को अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग तक ने उनकी 'मजहबी नेतृत्व वाली भूमिका' से जुड़ा करार दिया था.

कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी चेहरों में शुमार मीरवाइज उमर फारूक को 4 अगस्त, 2019 को हिरासत में लिया गया. यह केंद्र की तरफ से अनुच्छेद 370 को खत्म करने से एक दिन पहले की बात है. निगीन स्थित अपने घर में नजरबंदी के चार साल बाद मीरवाइज ने अगस्त में इस 'गैरकानूनी नजरबंदी' के खिलाफ सरकार को कानूनी नोटिस भेजा. उनके वकील ने जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट में एक रिट दायर की, जिसमें 14 सितंबर से चार सप्ताह के भीतर सरकार से जवाब मांगा गया. लेकिन सुनवाई से पहले ही उन्हें रिहा कर दिया गया. रही बात वीरी और दाऊदी की तो कोर्ट ने 8 सितंबर को ही उनकी हिरासत रद्द कर दी थी. हालांकि, सियासी माहौल इससे पहले ही बदल चुका था, यहां तक कि राज्य भाजपा भी उनकी रिहाई की मांग कर रही थी. 

Denne historien er fra October 11, 2023-utgaven av India Today Hindi.

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