
मैं विज्ञान कथा लेखक के रूप में हमेशा 'टेक्नोजॉय' के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील रहता हूं. रोबोट मित्रो ! अंतरिक्ष ! यूटोपियन महानगर ! दुर्भाग्य से, आज की दुनिया में, विशेषकर भारत में रहने वाले इंसान के तौर पर वास्तविकता 'टेक्नोफियर' और 'टेक्नोफटीग' के लिए बहुत मौके मुहैया कराती है. कोई नहीं जानता कि 2050 में भारत कैसा दिखेगा. कोई नहीं जानता कि अगले महीने भारत कैसा दिखेगाबहुत कुछ वैसा ही रहेगा, कुछ चीजें बदतर होंगी, कुछ बेहतर विज्ञान कथा अक्सर भविष्यवाणी करने के लिए बहुत सारा श्रेय लेती है, लेकिन जो भी विज्ञान कथा है, उसमें लिखते वक्त व्यक्तिगत और सामाजिक आशाओं और डर की झलकी होती है. कभी-कभी अच्छे शोध और रुझान की पहचान की बदौलत भविष्यवाणियां वास्तविकता से मेल खाती हैं. अक्सर वे मेल नहीं खातीं हैं, और वैसे भी यह उनका मकसद नहीं होता.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक सपना है जो मनुष्य प्राचीन काल से देखता आया है. यही वजह है कि ज्यादातर प्राचीन संस्कृतियों के मिथकों में ऑटोमेटा (स्वतः चलने वाले), मेकैनिकल प्राणी और बुद्धिमान वस्तुएं हैं. इसे आसानी से समझाया जा सकता है - मानव इतिहास के हर चरण में, लोगों को दूसरे लोग परेशान करने वाले, अक्षम और बहस-मुबाहिसा करने वाले लगे हैं, और वे चाहते थे कि किसी तरह दूसरे लोगों के बिना ही काम कर लिया जाए. हम, बेहतर और बदतर की खातिर एआइ विकास के एक नए चरण में हैं. इसमें मशीन लर्निंग और उन्नत एल्गोरिद्म ने विशिष्ट डोमेन में एआइ को प्रेरित किया है.
एआइ के अगले चरण में उसे अपने वजूद का एहसास होगा, और जो खुद तर्क और बातचीत करने में सक्षम होगा. और फिर आपके पास वह एआइ है जो मानव बुद्धि के करीब पहुंचकर तेजी से उससे आगे निकल जाती है, जहां ज्यादातर विज्ञान कथाएं एआइ का आनंद लेती हैं. सौभाग्य से, हममें से कोई भी अपने जीवनकाल में यह नहीं देख पाएगा क्योंकि जो बायोटेक फर्म आपको अमरता बेचने की कोशिश कर रही है, वह भी आपसे झूठ बोल रही है.
Denne historien er fra January 17, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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ऐशो-आराम की उभरती दुनिया
भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है.

भारत की प्राचीन बौद्धिक ताकत
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस सत्र का बेसब्री का इंतजार किया जा रहा था और विलियम डेलरिम्पिल ने निराश भी नहीं किया.

असीम आकाश का सूरज
गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.

मौन क्रांति की नींव
भारत लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन यह यात्रा देश के दूरदराज इलाकों बन रहे बुनियादे ढांचे के बिना मुमकिन नहीं हो सकती.

सबके लिए एआइ
टोबी वाल्श आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को समझाने के लिए जिसे मिसाल बनाना पसंद करते हैं, वह है बिजली. यह सब जगह है, दूरदराज के कोनों में भी.

उथल-पुथल के दौर में व्यापार
बराबरी का टैरिफ लगाने की तलवार सिर पर लटकी होने से भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को पक्का करने में कोई वक्त नहीं गंवाया, जिसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 200 अरब डॉलर (17.4 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर दशक के अंत तक 500 अरब डॉलर (43.6 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का है.

चर्बी से यूं जीतें जंग
चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं.

रोबॉट के रास्ते आ रही क्रांति
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव एआइ की शक्ति से संचालित मानवाकार रोबॉट-स्पेसियो-और गार्डियो नाम के साइबर हाउंड्स के लाइव प्रदर्शन का गवाह बना.

देखभाल और विकल्प के बीच संतुलन की दरकार
हाल के सालों में सरगर्म बहस होती रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए या जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर.

रूस की पाती
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है.