योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की पिछले छह महीने से चल रही अटकलों पर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 5 मार्च को विराम लग गया. इसका उस वक्त से इंतजार किया जा रहा था जब जहूराबाद (गाजीपुर) के 61 वर्षीय विधायक और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम राजभर समाजवादी पार्टी के गठबंधन सहयोगी के रूप में 2022 का चुनाव लड़ने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में वापस आ गए थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के तहत योगी आदित्यनाथ का यह पहला कैबिनेट विस्तार था. इसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और गठबंधन सहयोगियों को ध्यान में रखते हुए चार और मंत्रियों को शामिल किया. योगी मंत्रिमंडल की ताकत अब बढ़कर 56 हो गई है. इसमें शामिल किए गए चार मंत्रियों में दो पिछड़ी जाति, एक दलित और एक सवर्ण तबके से ताल्लुक रखते हैं. इस तरह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए ने पिछड़ा (पी), दलित (डी) और अगड़ा (ए) पर आधारित पीडीए कार्ड चला है. 5 मार्च की शाम राजभवन में एक सादे समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में चारों मंत्रियों को शपथ दिलाई.
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