• आपने एनडीए के लिए 'चार सौ पार' के नारे के साथ शुरुआत की और हर कोई आपकी आलोचना करने लगा. क्या आप अपने लक्ष्य में संशोधन करना चाहेंगे?
आपके परिवार हैं, आपके बच्चे हैं. अगर आपका बच्चा 90 फीसद अंक लाता है, तो अगली बार 95 फीसद अंक लाना, आप ये उससे जरूर कहते होंगे. अगर वह 99 फीसद अंक पाता है तो आप उसे 100 फीसद अंक प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं. 2019 से 2024 तक हमारे पास पहले ही एनडीए और एनडीए + के लिए 400 का आंकड़ा था. यह मेरा कर्तव्य बनता है अभिभावक के रूप में कि 400 से अधिक का आंकड़ा पार करूं, आगे बढूं. दूसरे, जहां तक जवाबदेही का सवाल है, यह एक नेता का कर्तव्य है. आज देश का दुर्भाग्य है कि दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ दिया जाता है, नेता भाग जाते हैं, चमड़ी बचाते हैं. यहां आपके पास ऐसा व्यक्ति है जो जिम्मेदारी लेने को तैयार है, जो भागता नहीं है, जो अपनी हर बात की जवाबदेही लेता है. देश में हर राजनैतिक दल में जिम्मेदारी लेने वाले लोग होने चाहिए. ऐसे लोग नहीं होने चाहिए जो अपने साथियों पर ठीकरा फोड़कर भाग जाएं. यह शोभा नहीं देता है.
• क्या आपको लगता है कि यह सबसे आसान चुनाव है?
किसी को कभी भी चैन की सांस नहीं लेनी चाहिए. अगर यह आसान हो गया तो मैं अपने लिए एक चुनौती खड़ी करूंगा. सीधे-सपाट हाइवे पर दुर्घटनाएं अधिक होती हैं. जहां कर्व (मोड़ आते हैं वहां दुर्घटनाएं कम होती हैं. मैं अपनी टीम को सचेत रखना चाहता हूं, उसे हमेशा सक्रिय रखना चाहता हूं.
एक नया नैरेटिव जोर पकड़ता दिख रहा है कि संविधान बदल दिया जाएगा.
Denne historien er fra May 29, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"