अप्रैल की 26 तारीख को कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए धुआंधार प्रचार के बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया राज्य के अर्सिकेरे क्षेत्र में एक कानून की छात्रा से एक अनूठा स्मृति चिन्ह पाकर रोमांचित हो उठे. पिछले साल सत्ता संभालने के बाद कर्नाटक में महिलाओं के लिए बस यात्रा मुफ्त करने के बाद से उस लड़की ने जो 'शून्य किराया' वाली बस टिकटें इकट्ठी की थीं, उन्हें एक माला में पिरोया था. कांग्रेस की कल्याणकारी योजनाएं, खास तौर पर महिलाओं के बीच हिट रही हैं, और यह सद्भावना ही थी जिस पर पार्टी लोकसभा चुनावों में दोहरे अंक की जीत की उम्मीद कर रही थी.
यह अभी भी तय नहीं है कि इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हुआ या नहीं. कांग्रेस का वोट शेयर काफी बढ़ गया है, लेकिन कर्नाटक के नतीजों से सत्तारूढ़ पार्टी को बहुत खुश नहीं है. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार को कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 14 से अधिक पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन वह केवल नौ सीटें ही जीत सकी. संयोग से, यह ठीक उतनी ही सीटें थीं, जितनी कांग्रेस ने 2014 में सिद्धारमैया के सीएम के रूप में पहले कार्यकाल के दौरान जीती थीं. इसका मतलब है कि मई 2023 में कर्नाटक में सत्ता में आई कांग्रेस पिछले दो दशकों से राज्य में चली आ रहे एक विरोधाभासी रुझान को उलटने में असमर्थ रही है-कर्नाटक के मतदाता विधानसभा चुनाव और आम चुनाव के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचते हैं.
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