इसके तहत सरकार राज्य की 21 से 50 साल तक की सभी महिलाओं, जिनकी संख्या करीब 48 लाख है, को हर महीने एक हजार रुपए देने जा रही है. ठीक उसी वक्त पूर्व सीएम चंपई सोरेन दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके के होटल ताज पैलेस में बैठे अपनी बगावत का दस्तावेज लिख रहे थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक चंपाई ने देश की राजधानी से सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने तीन मुख्य बातें कहीं. पहली कि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से अपमानजनक तरीके से हटाया गया. दूसरी बात यह कि जिन्होंने हटाया, उन्हें सिर्फ सत्ता से मतलब है. और सबसे आखिरी बात कि उनके पास तीन विकल्प हैं- राजनीति से संन्यास, अपना अलग संगठन बनाना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना.
दो दिनी दिल्ली प्रवास के बाद 20 अगस्त देर शाम वे सरायकेला पहुंचे और फिर 21 अगस्त की शाम उन्होंने नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी. चंपाई ने कहा, "हम संन्यास नहीं लेंगे. हमने नया अध्याय शुरू किया है. नए संगठन को मजबूत करेंगे. रास्ते में कोई दोस्त मिला तो दोस्ती करेंगे. अगले 7 दिन में सब साफ हो जाएगा."
कितने असरदार होंगे चंपाई
अब सबसे बड़ा सवाल है कि चंपाई के रास्ते जुदा होने से जेएमएम पर क्या प्रभाव पड़ेगा? चंपाई कोल्हान इलाके के नेता माने जाते हैं. कोल्हान के अंतर्गत पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले आते हैं. यहां विधानसभा की कुल 14 सीटें हैं. इनमें से अभी 12 जेएमएम, एक कांग्रेस और एक पहले निर्दलीय और अब जद (यू) (विधायक पार्टी में शामिल हो चुके हैं) के पास है. जेएमएम विधायक और हेमंत के करीबी सुदिव्य कुमार सोनू कहते हैं, "इतिहास गवाह रहा है कि जो पार्टी छोड़कर गए हैं, जनाधार ने उनको अपनाया नहीं है. चंपाई दा इसके अपवाद होंगे, ऐसा नहीं लगता." सुदिव्य की बात को समझें तो पूर्व में हेमलाल मुर्मू, साइमन मरांडी, स्टीफन मरांडी, कृष्णा मार्डी, सीता सोरेन जेएमएम छोड़ भाजपा में गए या अपनी पार्टी बनाई और बेअसर रहे.
Denne historien er fra September 04, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra September 04, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.