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नियम और नियंत्रण पर बढ़ता बरखेड़ा

India Today Hindi

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April 02, 2025

महाबोधि मंदिर प्रबंधन कमेटी से हिंदू सदस्यों को हटाने और बोधगया टेंपल ऐक्ट को वापस लेने की मांग को लेकर बौद्ध भिक्षु बोधगया में 12 फरवरी से क्रमिक अनशन पर हैं. उनके समर्थन में देश और दुनिया के कई शहरों में आंबेडकरवादी बौद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं

- पुष्यमित्र

नियम और नियंत्रण पर बढ़ता बरखेड़ा

बोधगया में महाबोधि महाविहार से तकरीबन डेढ़ किमी पहले दोमुहान चौराहे के किनारे खाली जमीन पर कुछ बौद्ध भिक्षु अनशन पर बैठे हैं. वहां लगी तख्तियों पर अंग्रेजी में लिखा है, 'रिपील बीटी ऐक्ट' यानी बीटी ऐक्ट को हटाएं और 'ऑल मेंबर्स ऑफ बीटीएमसी शुड बी बुद्धिस्ट' यानी बीटीएमसी (बोधगया मंदिर प्रबंधन कमेटी) के सभी सदस्य बौद्ध हों.

इन नारों का मतलब बताते हुए ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के राष्ट्रीय महासचिव आकाश लामा कहते हैं, "बोधगया टेंपल ऐक्ट (बीटी ऐक्ट), 1949 के हिसाब से जो बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी (बीटीएमसी) संचालित हो रही है, उसके आठ मेंबरों में से चार हिंदू होते हैं और चार बौद्ध. इसका अध्यक्ष गया का डीएम होता है. बीटीएमसी में हमेशा हिंदुओं का बहुमत होता है, हम इसके विरोध में हैं. हम बस इतना चाहते हैं कि यह ऐक्ट वापस लिया जाए और जैसे दूसरे धर्म के उपासना स्थलों का प्रबंधन उसी धर्म के लोग करते हैं, वैसे ही बीटीएमसी में भी सारे मेंबर बौद्ध हों."

इस मांग को लेकर 12 फरवरी, 2023 से बौद्धों का क्रमिक अनशन जारी है. पहले अनशन महाबोधि मंदिर के पास बीटीएमसी दफ्तर के सामने गोलंबर में चल रहा था. 23 फरवरी की रात पुलिस ने उन्हें वहां से जबरन हटा दिया, अब उनका अनशन यहां जारी है.

अनशन स्थल पर बैठी लेह की कजांग देचिंग कहती हैं, "यह मंदिर हम बौद्धों की मेन (मुख्य) जगह है जी, हम लद्दाख से हर साल यहां आते हैं. बीटीएमसी में सारे मेंबर बुद्धिस्ट होने चाहिए, इसलिए हम सपोर्ट में यहां पर बैठे हैं. लेह-लद्दाख से काफी लोग यहां आए थे. हमारे लोग वहां भी अनशन कर रहे हैं."

उनके पास ही बैठी नागपुर की लीना प्रमोदमणि कहती हैं, "जैसे मोहम्मदनों लोगों का मक्का-मदीना है, हिंदू लोगों का काशी है, क्रिश्चियन और सिख सब लोगों का अपना-अपना तीर्थ है, तो फिर हमारा भी तो अलग होना चाहिए ना! जो हमारा अयोध्या का साकेत था, वह इन लोगों ने राम-राम करके ले लिया. लेकिन हमारा पूरी दुनिया का बुद्धिस्ट टेंपल है, महाबोधि महाविहार, यह बौद्धों के कब्जे में क्यों नहीं है?"

India Today Hindi

Denne historien er fra April 02, 2025-utgaven av India Today Hindi.

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