एनजीटी ने पर्यावरण स्वीकृति पर लगी रिवोक को गलत ठहराया, मगर नियमानुसार पेनाल्टी के आदेश
Open Eye News|April 2023
लंबे समय तक चले प्रकरण में अंतत: पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूलने के साथ एसीसी सीमेंट पर पर्यावरणीय स्वीकृति रिवोक हटाकर माननीय एनजीटी ने प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया है। मामला प्रसिद्ध सीमेंट कंपनी एसीसी के पर्यावरणीय स्वीकृति के उल्लंघन का था जोकि एक खदान के हस्तांतरण को लेकर प्रकाश में लाया गया था।
एनजीटी ने पर्यावरण स्वीकृति पर लगी रिवोक को गलत ठहराया, मगर नियमानुसार पेनाल्टी के आदेश

ज्ञा पूर्व में एस.एन. सेंडरसन एंड कंपनी को बदारी लाइम स्टोन माइन (ओपन तव्य है कि सिआ (राज्य स्तरीय पर्यावरण समाधान निर्धारण प्राधिकरण) ने में कॉस्ट सेमी मैकेनाइज्ड प्रोसेस) जिसकी उत्पादन क्षमता 50 हजार टन प्रतिवर्ष है को 25 मार्च 2009 में 5.82 हेक्टेयर खदान की पर्यावरण स्वीकृति प्रदान की थी। इस खदान को बाद में एसीसी सीमेंट ने अपने नाम पर करवाया। इस खदान की जल तथा वायु अधिनियम की सम्मतियां ए.सी. सेण्डरसन के नाम पर थी, मगर जैसा कि पर्यावरण मंत्रालय ने बताया था, इस खदान में लाइम स्टोन की खुदाई एसीसी कंपनी द्वारा की गई। एसीसी कंपनी ने वर्ष 2009 से 2018 तक की अवधि का खनन कार्य बिना वैध पर्यावरणीय स्वीकृति के किया गया साथ ही उक्त अवधि के अनुपालन प्रतिवेदन भी संबंधित विभाग को नहीं सौंपे। बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के खनन कार्य को सिया ने गलत माना तथा 16 अगस्त 2021 को एसीसी को हस्तांतरित पर्यावरणीय स्वीकृति पर रोक लगा दी और बाद में 19 दिसंबर 2021 को एसीसी के उक्त स्वीकृति रिवोक कर दी गई।

आरटीआई से उजागर हुआ था मामला

गौरतलब है कि ये मामला तब उजागर हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता ने विभिन्न सीमेंट कंपनियों की पर्यावरण स्वीकृति के अनुपालन प्रतिवेदन की छै: माही रिपोर्ट के दस्तावेज पर्यावरण मंत्रालय मप्र भोपाल से मांगे। साथ ही मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल भोपाल से एसएन सैण्डरसन तथा एसीसी के मध्य लीज ट्रांसफर के दस्तावेज लिए। सैकड़ों की संख्या में प्राप्त किए गए प्रमाणित दस्तावेजों से जो तथ्य सामने आए वो चौंकाने वाले थे। दरअसल, जिला कटनी में मौजूद बड़ारी खदान की लीज ट्रांसफर का अनुबंध 23 दिसंबर 2008 को हुआ। ये लीज़ ट्राँसफर एसीसी के पक्ष में की गई थी। विभिन्न जांच तथा निरीक्षण के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट दि. 14 जून 2019 में बताया कि वर्ष 2009 में एसएन सैण्डरसन को उक्त खदान की जल तथा वायु सम्मतियां प्रदान की गई थी मगर एसीसी सीमेंट द्वारा वर्ष 2018 तक (यानी जब तक पर्यावरण स्वीकृति एसीसी को नहीं दी गई) एसीसी ने बिना वैध पर्यावरण स्वीकृति के खनन कार्य किया और यहां तक नियमानुसार पर्यावरणीय स्वीकृति की अनुपालन प्रतिवेदन नियमित रूप से जमा नहीं किए।

Denne historien er fra April 2023-utgaven av Open Eye News.

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आखिर क्यों पिछड़ता जा रहा मध्य प्रदेश?
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आखिर क्यों पिछड़ता जा रहा मध्य प्रदेश?

परिणाम आधारित नीतियों का क्रियान्वयन संभवतः नेपथ्य में ही रह जाता है। कड़वा है पर सच है। वर्ष 1979 से जल संसाधन के क्षेत्र में अभियंता के रूप में दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ निरंतर प्रयास रत हूं।

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October 2024
अब अपनी बंद नहीं, खुली आंखों से देखेगी इंसाफ की देवी
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अब अपनी बंद नहीं, खुली आंखों से देखेगी इंसाफ की देवी

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October 2024
हिंद-प्रशांत इलाके में भारतीय कूटनीतिक बढ़त
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October 2024
सोशल मीडिया के कारण रिश्तों में आ रही दरार
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देखा जाए तो सोशल मीडिया पर पिछले साल सवा साल से चल रहे ट्रेंड से आपसी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा हैं वहीं सोशल मीडिया से जुड़ें लोगों में नकारात्मकता और डिप्रेशन का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

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October 2024
अग्नि दुर्घटना के जोखिम से बचे नहीं हैं सरकारी दफ्तर
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अग्नि दुर्घटना के जोखिम से बचे नहीं हैं सरकारी दफ्तर

क्या आप ये बात मान सकते हैं कि आम जनता के लिए बताए नियमों का पालन करवाने के लिए जिम्मेदार सरकारी दफ्तर, सरकारी नियमों के दायरे में आने वाले बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इत्यादि खुद सरकारी आदेशों और निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। आग लगन की बढ़ती दुर्घटनाओं के चलते नगरीय प्रशासन विभाग ने जून 2023 में एक अधिसूचना जारी की थी कि प्रदेश के सभी भवनों में अग्नि सुरक्षा संबंधी प्रावधान होना चाहिए साथ ही उन्हें नगर निगम भोपाल से आवश्यक रूप से फायर एनओसी लेनी चाहिए। अकेले भोपाल से ही प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि कई बड़े-बड़े सरकारी दफ्तर केंद्रीय कार्यालय, बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अग्नि सुरक्षा संबंधी प्रावधान नहीं है और ना ही उनके पास नगर निगम की फायर एनओसी है। जब हमारी राजधानी के ये हाल हैं तो प्रदेश के अन्य जिलों में अग्नि सुरक्षा की स्थिति अपने आप ही समझी जा सकती है।

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October 2024
डबल इंजन की सरकारें छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश को तेजी से लेकर जा रही विकास की राह पर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
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छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में संचालित हो रही जनहितैषी योजनाएं

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October 2024
विस चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर का परिदृश्य
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भाजपा समर्थको एवं कश्मीर की क्षेत्रिय पार्टियों के स्वाभाविक विरोधियों के अंदर निराशा इसलिए है कि वहां के लोग ही खुलकर बता रहे थे कि 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जितना विकास किया उसकी पहले कल्पना नहीं थी।

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October 2024
रबी फसलों के एमएसपी की घोषणा
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देश में 1966-67 में सबसे पहले गेहूं की सरकारी खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की गई थी। आज से लगभग 60 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक अगस्त 1964 को एलके झा की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी घटित की थी।

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October 2024
मोदी युग में सशक्त होती भाजपा
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भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है। इस उपलब्धि के पीछे पार्टी के करोड़ों देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत है। कोई भी संगठन, संस्था अथवा राजनैतिक दल प्रगति के सर्वोच्च शिखर को तभी छू सकते हैं, जब उनके सामने लक्ष्य और दिशा सुस्पष्ट हो। उसका कर्मपथ तदनुरूप निर्दिष्ट हो। उस दिशा में अग्रसर होने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं का विशाल समूह साथ में हो। ऐसे कार्यकर्ता, जो राष्ट्र और समाज की बेहतरी के लिए कटिबद्ध हों तथा निःस्वार्थ सेवा व समर्थ राष्ट्र-निर्माण जिनका संकल्प हो। विश्व की सबसे विशाल सदस्य संख्या वाली भारतीय जनता पार्टी का उदाहरण हमारे सामने है। भाजपा पंचनिष्ठाओं पर आधारित पार्टी है। ये पंचनिष्ठाएं है- राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय अखंडता, लोकतंत्र, सर्वधर्म समभाव, गांधीवादी समाजवाद तथा मूल्य आधारित राजनीति।

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October 2024
टाटा समूह को मिल ही गया नया रत्न नोएल
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टाटा समूह को मिल ही गया नया रत्न नोएल

एक हकीकत है कि कभी कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का विकल्प नहीं बन सकता। हर व्यक्ति को कुदरत विशिष्ट दायित्वों के लिये खास गुणों के साथ तैयार करती है। फिर रतन टाटा जैसे विराट व्यक्तित्व का विकल्प बनना तार्किकता से परे है। इसके बावजूद टाटा संस जैसे विशाल आर्थिक साम्राज्य को चलाने के लिये योग्य रत्न की जरूरत तो थी। आखिरकार टाटा ट्रस्ट को अपना नया रत्न नोएल टाटा के रूप में मिला है। हाल ही में रतन टाटा के निधन के बाद सर्वसम्मति से नोएल को उस टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया है, जो तमाम परोपकार के कार्य करने के साथ ही टाटा संस को संचालित करता है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल भ प्रचार से दूर रहे, लेकिन वे टाटा समूह से पिछले चार दशक से जुड़े हैं।

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October 2024