★ वर्षों से पर्यावरणीय अधिनियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर अब मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडलों के क्षेत्रीय अधिकारियों ने सख्ती बरतना शुरू कर दी है । भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय ने हाल ही में शहर के विभिन्न संस्थानों और उद्योगों को पर्यावरण अधिनियमों का पालन नहीं करने के आधार पर जल अधिनियम 1974 तथा वायु अधिनियम 1981 की विभिन्न धाराओं के तहत नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि ये नोटिस शहर के बिल्डर्स, होटल, रेस्टारेंट, मेरिज हाल, ऑटो मोबाइल सेंटर को जारी किए गए हैं।
क्या है पर्यावरणीय अधिनियम
दरअसल, प्रत्येक भवन निर्माण/कॉलोनाइजर को जिनका बिल्ट अप एरिया 2000 वर्ग मीटर से अधिक है, को निर्माण कार्य आरंभ करने से पूर्व मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल से विधिवत स्थापना और संचालन की सम्मतियां प्राप्त करना अनिवार्य होता है। वहीं एक दूसरे अधिनियम, ई. आई.ए. नोटिफिकेशन दिनांक 14.09.2006 मुताबिक अगर 20 हज़ार वर्ग फीट से अधिक क्षेत्र की आवासीय कॉलोनी है तो उसे वैधानिक रुप से पर्यावरणीय स्वीकृति लेना जरूरी होता है। पर्यावरणीय अधिनियमों के तहत जो आवासीय/भवन उक्त दायरे में आते है उन्हीं उन्हें जरूरी तौर पर जल/ वायु अधिनियमों के तहत सम्मतियाँ लेनी होती है। इसके साथ कॉलोनी में उत्पन्न दूषित जल के उपचार हेतु उपचार संयंत्र स्थापित करना होता है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य भूमिजल से जुड़ा है क्योंकि यदि कॉलोनी में ग्राउंड वॉटर की सप्लाई है तो कॉलोनाइजर को सेंट्रल ग्राऊंड वॉटर बोर्ड से एनओसी लेनी होती है।
क्या थी स्थिति?
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