मेहनतकश धरतीपुत्र किसानों की बदौलत जहां रेतीले टिब्बे हरे-भरे लहलहाते खेतों में तब्दील हुए वहीं देश की राजधानी से निकटता और उद्यमियों की कड़ी मेहनत की बदौलत इन 57 साल के सफर में हरियाणा प्रगति के पायदान चढ़ा। आज देश के 50 फीसदी यात्री वाहन और 500 से अधिक फोर्च्युन कंपनियों के मुख्यालय हरियाणा में हैं। पिछले कुछ बरस से विकास की रफ्तार के साथ सरकार रोजगार का तालमेल बैठाने में विफल रही। प्रदेश में रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता में नहीं इसलिए बेरोजगारी के मामले में देश में अव्वल है। इससे हरियाणा के युवाओं की उम्मीदें धूमिल हुई हैं। दरअसल बेरोजगारी से लड़ने का हथियार केवल और केवल रोजगार पैदा करना है। बेरोजगारी से निपटने के गंभीर प्रयास करने की बजाय 'इवेंट मैनेजमेंट' में उलझी भाजपा-जजपा सरकार ने 15 जनवरी, 2022 को हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2022 पेश किया था जिसके तहत निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। लेकिन इस कानून के तहत आज तक एक भी नौकरी नहीं मिली। इस अधिनियम की वैधता और संवैधानिकता को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती मिली इसलिए सरकार का यह प्रयास भी कारगर साबित नहीं हो पाया। बेरोजगारी का संकट कितना व्यापक है और हरियाणा के अनगिनत युवाओं को किस हद तक प्रभावित कर रहा है, इसका अंदाजा एनएसएसओ के आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि हरियाणा देश के सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर वाले राज्यों में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। जुलाई, 2022 से जून, 2023 तक 15 से 29 साल आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 17.5 फीसदी रही। जबकि, 201314 में कांग्रेस शासनकाल में हरियाणा में बेरोजगारी दर महज 2.5 फीसदी थी।
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