इस बार के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने प्रदेश के राजनैतिक चेहरों को ही नहीं, शायद राजनीति को भी हमेशा के लिए बदल दिया। चेहरे और नेतृत्व में 'पीढ़ी परिवर्तन' तो प्रत्यक्ष है। यह प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस में दिखा। दरअसल नतीजों ने न सिर्फ भाजपा और कांग्रेस दोनों को चौंकाया, बल्कि सत्ता के गलियारों की खबर रखने वालों को भी औंधे मुंह गिरा दिया। पिछले दो दशकों में कांग्रेस पार्टी की सबसे करारी हार हुई जबकि मतदान के दिन तक 18 साल की भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ एंटी-इन्कंबेंसी का अंदाजा ही लगाया जा रहा था, लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटा नहीं, बढ़ा। तकरीबन सारे एग्जिट पोल कांटे की टक्कर या कांग्रेस के पक्ष में माहौल की बात कर रहे थे। भाजपा भी इतनी बड़ी जीत को किसी आश्चर्य से कम नहीं मान रही है। उसे इससे भी हैरानी हुई कि उसके खाते में सात प्रतिशत से ज्यादा वोट का इजाफा हो गया।
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गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
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जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
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सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
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नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं