इस बार के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने प्रदेश के राजनैतिक चेहरों को ही नहीं, शायद राजनीति को भी हमेशा के लिए बदल दिया। चेहरे और नेतृत्व में 'पीढ़ी परिवर्तन' तो प्रत्यक्ष है। यह प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस में दिखा। दरअसल नतीजों ने न सिर्फ भाजपा और कांग्रेस दोनों को चौंकाया, बल्कि सत्ता के गलियारों की खबर रखने वालों को भी औंधे मुंह गिरा दिया। पिछले दो दशकों में कांग्रेस पार्टी की सबसे करारी हार हुई जबकि मतदान के दिन तक 18 साल की भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ एंटी-इन्कंबेंसी का अंदाजा ही लगाया जा रहा था, लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटा नहीं, बढ़ा। तकरीबन सारे एग्जिट पोल कांटे की टक्कर या कांग्रेस के पक्ष में माहौल की बात कर रहे थे। भाजपा भी इतनी बड़ी जीत को किसी आश्चर्य से कम नहीं मान रही है। उसे इससे भी हैरानी हुई कि उसके खाते में सात प्रतिशत से ज्यादा वोट का इजाफा हो गया।
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