यह सिर्फ तीन महिलाओं की कहानी नहीं है। यह निचले स्तर पर काम करने वाले उन लोगों की वास्तविकताओं की कहानी है, जो कहीं गहरे हमारे अनुभव और कल्पना में छुपे हुए हैं। यह मध्यवर्गीय भारत के बारे में है। हम सभी के बारे में, हमारी इच्छाओं, सीमाओं और रोशनी तथा छाया के बीच के नाजुक अंतरसंबंध के बारे में, जो हमारे जीवन को आकार देता है। ऑल दैट वी इमेजिन ऐज लाइट में पायल कपाड़िया की दृष्टि सिनेमा को अपनी विधा की सीमाएं तोड़ती है और कोई कविता, संवाद और कई बार एकालाप जैसा आभास देती है। कपाड़िया धीमे लेकिन पुरजोर तरीके से दर्शकों से ऐसी दुनिया के बारे में अपनी भूमिकाओं पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती हैं, जहां विशेषाधिकार और हाशिए के लोगों के साथ असहज सह-अस्तित्व है। कपाड़िया हमें जीवन के व्यक्तिगत और राजनैतिक दोनों आयामों पर आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करती हैं।
सिनेमाई विधा में स्टिल फ्रेम का इस्तेमाल विरले ही होता है, लेकिन कपाड़िया उसके इस्तेमाल से ऐसी जगह बनाती हैं, जहां जुड़ाव के लिए एक बिंदू है, जो कथा को बुनता है, जो प्रामाणिक है, प्रतीकात्मक है और कई स्तरों पर प्रतिबिंबित होता है। हाइब्रिड फॉर्म में कपाड़िया की महारत सहजता से फिक्शन को नॉन-फिक्शन के साथ जोड़ती है। इससे फिल्म के पात्रों और दर्शकों दोनों के लिए गहन और अंतरंग अनुभव तैयार होता है।
कभी न ठहरने वाली मुंबई की रफ्तार और रत्नागिरी की अलसाई शांति की दोहरी पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म आधुनिक भारत के सभ्य परिदृश्यों के भीतर मानव अस्तित्व की जटिलताओं की पड़ताल करती है। सिर्फ प्यार के लिए नहीं, बल्कि स्थान, पहचान और संबंध की भावना के लिए हम तीन महिलाओं के जीवन के गोपनीय पहलुओं से परिचित होते हैं, उनकी लालसा की पड़ताल करते हैं। पार्वती, प्रभा और अन्नू तीनों परिस्थितियों के अनुसार बदलती जा रही हैं।
Denne historien er fra January 20, 2025-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra January 20, 2025-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं