संविधान गया, तो लोकतंत्र नहीं बचेगा
Outlook Hindi|September 02, 2024
लोकतंत्र और संविधान का अभिन्न रिश्ता है। हर देश में संविधान के निर्माण और उसे लो अपनाने के कई कारण होते हैं। मगर दो कारण प्रमुख हैं। पहला कारण तो वह है, जिसका परिणाम दुनिया में हिंदुस्तान का अहम योगदान है। हमारी विविधता ज्यादा है और हम पराधीन थे, तो इन दोनों का हल निकालने के लिए एक ऐसे दस्तावेज की दरकार थी जो सबको समेटे, जनतंत्र, प्रजातंत्र की स्थापना करे, हम किसी के अधीन न हों, हम किसी राजा-महाराजा के तहत न रहें।
प्रोफेसर राजीव भार्गव
संविधान गया, तो लोकतंत्र नहीं बचेगा

ब्रिटिश साम्राज्य था तो कितने सारे राजा-महाराजा थे। हमें वह भी नहीं चाहिए था। हम न ब्रिटेन के अधीन रहना चाहते थे, न राजा-रजवाड़ों के। हमें ऐसा डाक्यूमेंट (दस्तावेज) चाहिए था जिसमें यह साफ तरीके से लिखा हो। यह एक नई बात थी। दूसरी बात यह थी कि हम एक विजन डाक्यूमेंट (दृष्टि-पत्र) चाहते थे। हमारी तरह-तरह की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समस्याएं थीं। उन सब समस्याओं की वजह से हम लोग हर मायने में पिछड़े हुए थे। इसलिए हमें एक ऐसा विजन डाक्यूमेंट चाहिए था जो हम सबको बांध सके, मगर हमें एकरूप न बनाए, यूनिफॉर्मिटी न हो, बल्कि ऐसा सुंदर ब्लूप्रिंट तैयार करे कि हम किस दिशा में अपने समाज को ले जाना चाहते हैं। हम अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते थे और अपने को नया विजन देना चाहते थे। तो, सबसे पहले मैं यही कहूंगा कि संविधान बेहद जरूरी था, न सिर्फ व्यक्ति के तौर पर, बल्कि सामुदायिक तौर पर, समूचे राजनैतिक समुदाय के तौर पर स्वतंत्र होने के लिए। इसके लिए स्वाधीनता, स्वतंत्रता और स्वराज बेहद महत्वपूर्ण था। वह स्वराज हम कैसा बनाएंगे, उसकी अवधारणा उस वक्त जो भी थी, उसे हमने प्रकट किया इस दस्तावेज में।

पूरे दस्तावेज में तो यह सब है ही, लेकिन उसकी प्रस्तावना अपने आप में एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसके बारे में आजकल फिर चर्चा हो रही है कि स्कूलों के पाठ्य-पुस्तकों से उसे हटा दिया गया है। उसमें जो सारे बुनियादी, मौलिक सिद्धांत हैं, वह शुरू में ही लिख दिए गए हैं कि यही हमारी गाइडलाइन (दिशा-निर्देश) है। तो, संविधान का एक राजनैतिक, सामाजिक संदर्भ था और है।

Denne historien er fra September 02, 2024-utgaven av Outlook Hindi.

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