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लुधियाना के एक गांव में जन्मे गिप्पी ग्रेवाल जब छोटे थे और स्कूल में किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्हें अवार्ड मिल जाता था तब गांव के लोग कहते थे कि बड़ा हो कर बनना तो किसान ही है. मगर धीरेधीरे गिप्पी ग्रेवाल ने संगीत में रुचि दिखाते हुए गीत गाना शुरू किया. फिर गांव से लुधियाना आ कर वर्ष 2000 में संगीत का एक अलबम निकाला, जिस के सारे गीत खुद ही गाए थे. उसे सफलता नहीं मिली.
वर्ष 2003 तक 3 अलबम आ गए थे मगर उन्हें सफलता नहीं मिली थी. तब वे गांव जाने के बजाय चौकीदार के रूप में नौकरी करने लगे थे. उसी बीच उन की शादी हो गई और देखतेदेखते सबकुछ बदल गया. आज की तारीख में गिप्पी ग्रेवाल की गिनती बेहतरीन पंजाबी गायक, अभिनेता, लेखक, निर्देशक के साथ ही निर्माता के रूप में भी होती है. गिप्पी ग्रेवाल सिर्फ पंजाबी फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहे. उन्होंने 'सैकंड हैंड हसबैंड' और 'लखनऊ सैंट्रल' सहित 3 हिंदी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा दिखाया है. उन के स्वरबद्ध कई गीत हिंदी फिल्मों में उपयोग किए जा चुके हैं.
कुछ समय पहले प्रदर्शित करण जौहर की हिंदी फिल्म 'जुग जुग जियो' में भी गिप्पी ग्रेवाल द्वारा स्वरबद्ध गीत 'नच पंजाबन' काफी पसंद किया गया. इन दिनों गिप्पी ग्रेवाल ताजा प्रदर्शित फिल्म 'यार मेरा तितलियां वर्गा' को ले कर चर्चा में हैं.
एक मुलाकात के दौरान गिप्पी अपनी यात्रा पर रोशनी डालते हुए कहते हैं, "मैं एक किसान का बेटा हूं और लोग सोचते थे कि मैं भी खेतीबाड़ी ही करूंगा. सच कहूं तो काफी समय तक मुझे खुद ही पता नहीं था कि मुझे क्या करना है. पंजाब के गांव में जहां हम रहते हैं, वहां हम सभी खेतीबाड़ी करते हैं. हम बच्चों को तो कुछ पता ही नहीं होता. हर आम इंसान यही सोचता है कि यह बच्चा भी बड़ा हो कर खेती ही करेगा. मेरे शरीर में भी किसान वाला खून है तो वही मेरे मन में भी था कि खेती ही करनी है.
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
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बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
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बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.