![बीमारी में न छोड़ें मांबाप का साथ बीमारी में न छोड़ें मांबाप का साथ](https://cdn.magzter.com/1338812051/1674547634/articles/cYykf6ZS41675427798262/1675428236368.jpg)
मां को कई दिनों से बुखार आ रहा 'से था. डाक्टर ने ब्लड टैस्ट लिखा. रिपोर्ट में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई. डाक्टर ने कहा कि एक हफ्ते तक बुखार रहेगा. मगर उस दिन जब उन का बुखार 105 डिग्री पर पहुंच गया तो असीम ने घबरा कर बहन को उस की ससुराल में फोन किया. मां बिलकुल बेहोशी की हालत में थीं. असीम सुबह से ठंडे पानी की पट्टियां उन के माथे पर रख रहा था. मगर बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था.
डाक्टर ने हर 4 घंटे पर पैरासिटामौल देने के लिए कहा था. असीम नियमित समय पर दवा दे रहा था. मगर शाम होतेहोते हालत और बिगड़ गई. बुखार 102 से बढ़ कर 105 हो गया और बदनदर्द से कराहतेकराहते मां बिलकुल बेहोश होने लगीं. असीम घबरा गया. रात में तो कोई डाक्टर भी नहीं मिलेगा. अस्पताल भी दूर है. अकेले कैसे ले कर जाए. कोई चारा न देख असीम ने बड़ी बहन रश्मि को फोन किया. रश्मि की शादी 2 साल पहले हुई थी. उस का मायका सुल्तानपुर में था और ससुराल जौनपुर में भाई का फोन आते ही रश्मि भी घबरा गई. पति काम से दिल्ली गए हुए थे, इसलिए वह देवर को साथ ले कर रात में ही निकल पड़ी. बाइक से 3 घंटे में वह घर पहुंच गई.
मां की हालत काफी खराब थी. पूरा शरीर गरम तवे सा तप रहा था. वे अर्धबेहोशी की हालत में थीं. रश्मि ने तुरंत कमरे से सभी को बाहर कर के मां के कपड़े उतारे और ठंडे पानी में तौलिया भिगोभिगो कर पूरा शरीर स्पंज करना शुरू किया. इसी के साथ उस ने मां का सिर और मुंह भी ठंडे पानी से धो डाला. तेज बुखार को कम करने का यह तरीका उस ने बचपन में मां से ही सीखा था. शरीर पोंछने के बाद उस ने मां को कपड़े पहनाए.
थोड़ी देर में बुखार कम होने लगा. सारी रात रश्मि चम्मच से उन को इलैक्ट्रोल लिक्विड और जूस देती रही ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. साथ ही, चारचार घंटे पर लगातार दवा देते रहने से सुबह तक फीवर 101 पर आ गया. सुबह मां ने आंखें खोलीं तो सब ने राहत की सांस ली.
अगर रश्मि रात में ही वहां न पहुंचती तो पता नहीं क्या होता. असीम अभी छोटा था. फिर तेज बुखार को उतारने के लिए जो तरीका रश्मि ने अपनाया वह असीम न कर पाता. जाड़े की शुरुआत के साथ ही उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी ने लोगों को जकड़ लिया है.
Denne historien er fra January Second 2023-utgaven av Sarita.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra January Second 2023-utgaven av Sarita.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.