आज के समय में परिवार छोटे होते जा रहे हैं जबकि पहले परिवार बड़े होते थे. एक परिवार में तीनचार पीढ़ियां भी एकसाथ रहती थीं. भाईबहन अब के मुकाबले अधिक होते थे. यानी, हमें एक बड़े परिवार में रहने की आदत थी. सब मिल कर कारोबार करते थे. नई पीढ़ियां उसी कारोबार में जुड़ती जाती थीं पर जरा सोचिए, क्या उन बड़े परिवारों में सबकुछ सही था? क्या उन परिवारों में रहने वालों में आपसी प्यार था?
भारत में संयुक्त परिवारों के भीतर कई संपत्ति विवाद देखे गए हैं. राजनेताओं, रईस खानदानों, सैलिब्रिटीज और बड़ेबड़े उद्योगपतियों के यहां भी ऐसे विवाद आएदिन सामने आते रहते हैं. उन की जिंदगी के भी पारिवारिक झगड़ों और विवादों ने सुर्खियां बटोरी हैं. वहीं, कई ऐसे भी नामीगिरामी परिवार हैं जिन की एकता और प्रेम ने उन के बिजनैस को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया.
उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी रिश्तों को बहुत तवज्जुह देते थे. हालांकि अपने निधन से पहले वे एक बड़ी गलती कर गए. अपने जीतेजी उन्होंने बेटों के नाम वसीयत नहीं की. इसी के कारण मुकेश और अनिल के बीच रिश्ते दरक गए. धीरूभाई ने सोचा भी नहीं होगा कि एकदूसरे पर जान छिड़कने वाले मुकेश और अनिल एकदूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन जाएंगे.
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कंगाली और गृहयुद्ध के मुहाने पर बौलीवुड
बौलीवुड के हालात अब बदतर होते जा रहे हैं. फिल्में पूरी तरह से कौर्पोरेट के हाथों में हैं जहां स्क्रिप्ट, कलाकार, लेखक व दर्शक गौण हो गए हैं और मार्केट पहले स्थान पर है. यह कहना शायद गलत न होगा कि अब बौलीवुड कंगाली और गृहयुद्ध की ओर अग्रसर है.
बीमार व्यक्ति से मिलने जाएं तो कैसा बरताव करें
अकसर अपने बीमार परिजनों से मिलने जाते समय लोग ऐसी हरकतें कर या बातें कह देते हैं जिस से सकारात्मकता की जगह नकारात्मकता हावी हो जाती है और माहौल खराब हो जाता है. जानिए ऐसे मौके पर सही बरताव करने का तरीका.
उतरन
कोई जिंदगीभर उतरन पहनती रही तो किसी को उतरन के साथ शेष जिंदगी गुजारनी है, यह समय का चक्र है या दौलत की ताकत.
युवतियां ब्रेकअप से कैसे उबरें
ब्रेकअप के बाद सब का अपना अलग हीलिंग प्रोसैस होता है लेकिन खुद से प्यार करना और समय देना सब से जरूरी होता है.
इकलौते बच्चे को जरूरत से ज्यादा प्रोटैक्ट करना ठीक नहीं
जिन परिवारों में इकलौता बच्चा होता है वे बच्चे की सुरक्षा के प्रति बहुत सजग रहते हैं. उसे हर वक्त अपनी निगरानी में रखते हैं. लेकिन बच्चे की अत्यधिक सुरक्षा उस के भविष्य और कैरियर को तबाह कर सकती है.
मेले मामा चाचू बूआ की शादी में जलूल आना
शादी कार्ड में जिन के द्वारा लिखवाया गया होता है कि 'मेले मामा/चाचू की शादी में जलूल आना' उन प्यारेप्यारे बच्चों के लिए सब से बड़ी सजा हो जाती है कि वे देररात तक जाग सकते नहीं.
गलत हैं नायडू स्टालिन औरतें बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं
महिलाएं बड़ी बड़ी बाधाएं पार कर उस मुकाम पर पहुंची हैं जहां उन का अपना अलग अस्तित्व, पहचान और स्वाभिमान वगैरह होते हैं. ऐसा आजादी के तुरंत बाद नेहरू सरकार के बनाए कानूनों के अलावा शिक्षा और जागरूकता के चलते संभव हो पाया. महिलाओं ने अब इस बात से साफ इनकार कर दिया कि वे सिर्फ बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं बने रहना चाहती हैं.
सांई बाबा विवाद दानदक्षिणा का चक्कर
वाराणसी के हिंदू मंदिरों से सांईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की सनातनी मुहिम फुस हो कर रह गई है तो इस की अहम वजह यह है कि हिंदू ही इस मसले पर दोफाड़ हैं. लेकिन इस से भी बड़ी वजह पंडेपुजारियों का इस में ज्यादा दिलचस्पी न लेना रही क्योंकि उन की दक्षिणा मारी जा रही थी.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा भाग-5
1990 के बाद का दौर भारत में भारी उथलपुथल भरा रहा. एक तरफ नई आर्थिक नीतियों ने कौर्पोरेट को नई जान दी, दूसरी तरफ धर्म का बोलबाला अपनी ऊंचाइयों पर था. धार्मिक और आर्थिक इन बदलावों ने भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को बदल कर रख दिया, जिस का असर संसद पर भी पड़ा.
न्याय की मूरत सूरत बदली क्या सीरत भी बदलेगी
भावनात्मक तौर पर 'न्याय की देवी' के भाव बदलने की सीजेआई की कोशिश अच्छी है, लेकिन व्यवहार में इस देश में निष्पक्ष और त्वरित न्याय मिलने व कानून के प्रभावी अनुपालन की कहानी बहुत आश्वस्त करने वाली नहीं है.