एक दाढ़ी कई अफसाने
Sarita|March Second 2024
दाढ़ी हर कोई रख और बढ़ा सकता है, इस का मैंटेनेंस भी कोई खास ज्यादा नहीं. विद्वान और परिपक्व दिखाने में दाढ़ी मददगार साबित होती है लेकिन कभीकभार यह दिक्कतें भी देती है.
एक दाढ़ी कई अफसाने

'मुझे बगावत की भनक पहले ही लग चुकी थी, मैं चाहता तो उस 'दाढ़ी' की दाढ़ी पकड़ उसे खींच सकता था,' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन की मनमोहक दाढ़ी पर इतने अधिकारपूर्वक कौन बोल सकता है. जाहिर है, सिर्फ उद्धव ठाकरे जिन की वजह से एकनाथ शिंदे आज वहां विराजे हैं जहां तक पहुंचने के लिए अच्छे अच्छों को पापड़ बेलने पड़ते हैं. फिर शिंदे तो दाढ़ी उगने के दिनों में ठाणे में औटोरिकशा चलाते थे.

एक दिन यों ही शिवसेना की रैली में हायहाय उन्होंने की तो उन का समय ऐसा चमका कि आज वे महाराष्ट्र चला रहे हैं, जिस में 2 पहिए भाजपा के और 2 शिवसेना के हैं. कुछ कलपुर्जे एनसीपी और कांग्रेस के भी इस से जुड़े हैं. अब कब तक यह जुगाड़ वाली गाड़ी, बकौल उद्धव ठाकरे, इस दाढ़ी से चल पाएगी, यह राम जाने. कम ही लोग जानते हैं कि एकनाथ शिंदे के बचपन का नाम राहुल पांचाल था और वे सतारा के एक बेहद गरीब कुनबी समुदाय के परिवार से हैं. अपने औटोरिकशा में सवारियां ठूंस कर उन्हें एडजस्ट करने का तजरबा अब सरकार चलाने के काम आ रहा है.

उद्धव क्यों शिंदे से इतना चिढ़ते हैं कि उन का असली नाम जबां पर लाने में भी अपनी तौहीन समझते हैं. यह खीझ, तकलीफ या जलन कुछ भी कह लें किसी से छिपी नहीं रह गई है. महाराष्ट्र में अब हर कोई शिंदे को दाढी नाम से ही बुलाता है. उन की घनी काली दाढ़ी है ही इतनी आईकैचर कि नजर उस पर ठहर कर रह जाती है. आजकल इतनी 'हाई क्वालिटी' की दाढ़ियां कम ही देखने में आती हैं.

उद्धव के हमले पर शिंदे चुप नहीं रहे. जवाब में उन्होंने कहा कि इस दाढ़ी के हाथ में आप की नब्ज दबी है. कव्वाली स्टाइल के ये सवालजवाब आम लोगों को समझ नहीं आए कि कौन सी नब्ज यानी राज की बात हो रही है जिस के उजागर होने से महफिल में न जाने क्या हो जाएगा. समझदार लोगों ने दाढ़ी से ज्यादा कुछ नहीं सोचा और उस में भी यही सोचा कि जो भी हो, शिंदे की काली चमकती दाढ़ी का कोई जवाब नहीं. दाढ़ी हो तो शिंदे जैसी, नहीं तो हो ही न.

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