अक्सर ये अनुमान विश्लेषकों के पसंदीदा क्षेत्रों जैसे एफएमसीजी, कार या स्मार्टफोन में बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों का प्रदर्शन देखकर लगाए जाते हैं। लेकिन अच्छा तब होता, जब ये सारी बातें यह समझने के बाद कही जातीं कि परिवारों में रोजगार की स्थिति क्या है, आय कितनी है, क्या धारणाएं हैं और किन चीजों पर खर्च किया जा रहा है।
कंपनियों के नतीजों को समझने के लिए हमें देखना चाहिए कि उपभोक्ताओं की मांग पर कौन से कारक असर डाल रहे हैं। इससे हमें सही जानकारी मिल जाएगी। ऐसा नहीं करने पर अलग-अलग दिशाओं की ओर संकेत कर रहे आंकड़े भ्रम को और बढ़ा देते है। कंपनियां की बिक्री पर इस बात का असर भी पड़ता है कि वे क्या चुनती हैं मसलन किस क्षेत्र में दांव लगाया जाएगा, होड़ किस तरह की जाएगी और योजनाओं को किस तरह अमल में लाया जाएगा। इसलिए कंपनियों की बिक्री को केवल उपभोक्ताओं की मांग का आईना नहीं माना जा सकता। पिछली कुछ तिमाहियों में प्रमुख रुझान यह था कि उपभोक्ता प्रीमियम उत्पादों की ज्यादा मांग कर रहे हैं। इस तिमाही में ग्रामीण मांग का पटरी पर लौटना और शहरी मांग में नरमी रहना नया रुझान है।
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Denne historien er fra November 07, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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महाकुंभ: 1.65 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे
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दिल्ली : सीएजी रिपोर्ट मामला
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ट्रंप का नया कार्यकाल और बजट निर्माण
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वर्ष 2025 में निदेशक मंडलों का एजेंडा
नया साल यानी 2025 उथल-पुथल भरा रह सकता है। ऐसे में निदेशक मंडलों (बोर्ड) पर अपनी कंपनियों को इस नए साल में नई चुनौतियों से उबारने की जिम्मेदारी होगी।
रूस के सस्ते कच्चे तेल में हो सकती है कटौती
रूस की तेल व गैस इकाइयों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए नवीनतम प्रतिबंधों का परोक्ष असर भारत पर भी हो सकता है। इससे भारत को रूस से छूट पर मिलने वाले कच्चे तेल में कटौती हो सकती है और क्रूड बाजार कीमतों पर खरीदना पड़ सकता है।
रुपये की विनिमय दर में स्थिरता अनिवार्य नहीं
रुपये में आई हालिया भारी गिरावट और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई तेज कमी के कारण अब इस पर बहस शुरू हो गई है कि क्या विनिमय दर को स्थिर बनाए रखना जरूरी है और वांछनीय है।
कर बदलाव से 2024 में शेयर बायबैक पर पड़ा असर
वर्ष 2023 में 6 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले साल कंपनियों ने पुनर्खरीद पेशकश पर कम रकम खर्च की। सरकार ने कर बोझ कंपनियों से निवेशकों पर डाल दिया। इस कारण इस खर्च में कमी आई। वर्ष 2024 में 48 कंपनियों ने 13,423 करोड़ रुपये के शेयर पुनः खरीदे। यह रकम 2023 में इतनी ही संख्या वाली कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद राशि से कम है। तब उनकी राशि 48,079 करोड़ रुपये रही थी।