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'इस्लाम' की अव्यवस्थाओं के कठोर आलोचक थे बाबा साहेब आम्बेडकर
बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर द्वारा की गईं हिन्दू धर्म की आलोचनात्मक टीकाओं को खूब उभारा जाता है, इसके पीछे की मंशा ठीक नहीं होती।
स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा क्रान्तिसूर्य बाबुराव शेडमाके
स्थानिक विभूतियों की कथा-१४
युवाओं के हनुमान
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के सर्वोत्तम सेवक, सखा, सचिव और भक्त श्री हनुमान थे। प्रभु श्रीराम की भारतीय जनमानस में जिस प्रकार पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार उनके प्रिय सेवक हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। राम परिवार में ऐसा कोई नहीं है जिसका स्वयं का मन्दिर हो। श्री हनुमानजी को रुद्रावतार भी माना जाता इनकी पूजा पूरे भारत और विश्व के अनेक देशों में इतने अलग-अलग तरीकों से की जाती है कि इन्हें 'जन देवता' की संज्ञा दी जा सकती है।
लॉरेन्स लेम्यूक्स
हर हाल में मानव मात्र की सेवा को महत्त्व देनेवाला ही होता है वास्तविक विजेता
इतिहास का तथ्यात्मक सत्य है - 'द कश्मीर फाइल्स'
सिनेमा-जगत
ॐ हैं सवित्रै नम:
सूर्य नमस्कार बीजमंत्र भावार्थ : १०
सुरसा से हुआ सामना
श्री हनुमत कथा: ११
दान-धर्म
किसी को दान या पुरस्कार दूर से, घमण्ड से, घृणा से नहीं देना चाहिए : विनय तथा प्रेमपूर्वक और मुस्कुराते हुए देना चाहिए। सेवा अपना बड़प्पन प्रकट करते हुए नहीं; विनीत भाव से करनी चाहिए।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और भारत में आर्थिक योजना
शोध-आलेख
कर्मयोग श्लोक संग्रह
व्याख्या - १७
अलौकिक है लोकनायक हनुमान का चरित्र
१६ अप्रैल हनुमान जयन्ती पर विशेष
हिन्दू पाठयक्रम का सुखद श्रीगणेश
हिन्दू पाठयक्रम
स्वामी विवेकानन्द के गुरु त्यागमूर्ति श्रीरामकृष्ण परमहंस देव
४ मार्च जयन्ती पर विशेष
सेवा-धर्म
चरित्र निर्माण की कंजी : १०
शबरी ने यहाँ खिलाए थे भगवान श्रीराम को बेर
यात्रा दर्शन
विविधवर्णी होली और उसके रंग
भारतीय उत्सवधर्मी जनजीवन की मूल चेतना है- हर्ष, हर्ष, उल्लास और उमंग की लोक-प्रतिष्ठा। इसी दर्शन का साक्षात रूपक है होली। यह केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि अपने आप में विविथवर्णी मान्यताओं का पुष्पगुच्छ है। इतिहास, पुराण व पुरा-प्रसंग, । ऋतु-परिवर्तन, नवधान्य के प्रति हर्षाभिव्यक्ति जैसे ढेरों सन्दर्भो को अपने अन्दर समेटे यह आज भी जीवन्त है।
राम के कार्य में विश्राम कहाँ?
श्री हनुमत कथा : १०
महान चिन्तक व इतिहासकार धरमपाल
इस शोधकार्य की मानें तो उन्हें धुन चढ़ गई थी। 'ब्रिटिश राज में ध्वस्त हुई भारतीय व्यवस्थाएं' इस विषय पर शोधकार्य उनका पैशन बन गया था। सन १६६५ में उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तक प्रकाशित हुई - 'अठारहवीं शताब्दी में भारतीय विज्ञान और तकनीकी'। यह पुस्तक अद्भुत थी। पूरे देश को हिलाने की ताकत रखनेवाली थी। इस पुस्तक ने वे सारे मिथक दूर किए, जो अंग्रेजों ने और बाद में उनके पिटुओं ने बना के रखे थे। तब तक यही बताया जाता था, यही सिखाया जाता था कि अंग्रेज आने से पहले भारतीय तो गंवार थे, अनाड़ी थे। उनको शिक्षित किया अंग्रेजों ने। उनको दुनिया दिखाई अंग्रेजों ने।
कर्मयोग श्लोक संग्रह
व्याख्या - १६
एक बरस भारत माँ के लिए...
कर्मयोगेकनिष्ठाः विवेकानन्द केन्द्र
अर्द्धनारीश्वर की अवधारणा
हिन्दू परम्परा
वेदों का सन्देश
संसद की एक समिति ने अभी हाल ही में इस बात की अनुशंसा की है कि वेदों का सार छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
शुद्ध शील एवं चारित्र्य
कथा कल्पतरु-४
समुद्र को लांघे कौन?
श्री हनुमत कथा : ६
भारतभक्ति से भरा मन है 'स्वामी विवेकानन्द'
स्वामी विवेकानंद कई लोगों के प्रेरणास्रोत हैं
वे दो प्रणाम
चमकते तारे और सुस्मित सुमन : १६
आखिर क्यों मर रहे हैं बाघ ?
देश का बीता साल २०२१ बाघों के लिए वर्ष २०१८ में भारत में २१ राज्यों में की गई चिन्ताजनक रहा है।
शिवाजी महाराज की विचारधारा और हमारा राष्ट्रीय आंदोलन
१६ फरवरी शिवाजी जयंती पर विशेष
पंडित माधवराव सप्रे
स्थानिक विभूतियों की कथा-११
जीवन का द्वंद्व
कितना अच्छा होता यदि जीवन का महासमर द्वंद्व मुक्त हो जाए और चिरन्तन दुःख की छाया उससे दूर-दूर तक चली जाए। उसे किसी भी प्रकार की पीड़ा छू भी न सके। मनुष्य जीवन के अन्तिम दौर में पहुंचकर यदि इस प्रकार की तपन सहने के लिए जब बाध्य हो जाता है तो हमें अपना इलाज अवश्य कर लेना चाहिए। बदलते समय के साथ मानवीय समाज आगे बढ़ रहा है। नित्य नए तथ्यों से अवगत हो रहा है।