विगत समय में जहाँ उच्च शिक्षा ग्रहण करना और उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण कर लेना मात्र ही इस बात की गारण्टी होता था कि जातक को एक अच्छी सरकारी नौकरी अवश्य मिल जाएगी, लेकिन आज परिस्थितियाँ बहुत बदल गई हैं और हालात यहाँ तक हैं कि जहाँ किसी नौकरी के लिए एक कार्मिक की आवश्यकता होती है, वहाँ भी सैंकड़ोंहजारों लोग अपना आवेदन पत्र लिए कतार में नजर आते हैं। यही कारण है कि आज किसी भी प्रतियोगिता में सफल होने के लिए अपेक्षाकृत अधिक दमखम और भाग्य की सहायता की आवश्यकता होती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जो जातक मेहनती अथवा अध्ययन में अच्छे अंक प्राप्त करने वाला है, वह जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त कर पाएगा, यथा कोई जातक यदि गणित, विज्ञान के क्षेत्र में सम्बन्धित आई.आई.टी. की परीक्षा में सफल हो जाता है, तो इसकी पूर्ण निश्चितता नहीं है कि वह आई.ए.एस की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर पाएगा।
इसका मूल कारण यह है कि दोनों ही कार्यों की प्रकृति भिन्न है और दोनों ही क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए जन्मपत्रिका में दो भिन्न-भिन्न ग्रह स्थितियों की भूमिका रहेगी। प्रत्येक क्षेत्र का एक ग्रह से या ग्रह स्थिति से विशेष सम्बन्ध होता है और उस क्षेत्र में जाने के लिए उस ग्रह स्थिति का होना या उस ग्रह का योगकारी या बलिष्ठ होना आवश्यक होता है। इसके सम्बन्ध में कुछ ऐसे सामान्य योग अवश्य होते हैं जिनके होने पर जातक किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पाता है। कॅरियर अथवा उपयुक्त विषय का चयन करने से पूर्व इन योगों का विचार अवश्य कर लेना चाहिए।
Denne historien er fra August 2023-utgaven av Jyotish Sagar.
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भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।