आयुर्वेद के अनुसार यह शीतल, रुक्ष, रुचिकर, भूखवर्धक, पचने में हलकी, मूत्र व मल को साफ लानेवाली तथा पित्त, कफ व रक्त-विकार को दूर करनेवाली होती है। यह रक्तपित्त (नाक, मल-मूत्र द्वार आदि से खून बहना) में हितकारी है। कब्ज, पेशाब में जलन, बवासीर, सूजन, अधिक मासिक स्राव एवं श्वेतप्रदर आदि में लाभकारी है। आँखों के लिए भी हितकारी है।
चौलाई में उपरोक्त गुणों के साथ एक और विशेष गुण विद्यमान है जिसे शायद ही हर कोई जानता हो। आयुर्वेद के शास्त्रों में चौलाई अपने विषनाशक गुणों के कारण जानी जाती है। इसके विषनाशक प्रभाव को प्रकाशित करते हुए आचार्य चरकजी कहते हैं :
रूक्षो मदविषघ्नश्च प्रशस्तो रक्तपित्तिनाम् ।
मधुरो मधुरः पाके शीतलस्तण्डुलीयकः ॥
Denne historien er fra August 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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