दिल्ली, मुंबई समेत देश के 7 बड़े शहरों में किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. 'द इंडियन वूमन हैल्थ- 2021' की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 67 फीसदी महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने से हिचकती हैं. उन का कहना है कि हमारे स्वास्थ्य के बारे में बात करना समाज में वर्जित माना जाता है.
देश में कामकाजी महिलाओं की सेहत ठीक नहीं है. आधी से अधिक महिलाओं को काम के साथ स्वयं को स्वस्थ रखना चुनौती साबित हो रहा है. महिलाएं लगातार काम करने और अपने दायित्वों का पालन करते हुए खुद की सेहत को दरकिनार करती हैं.
'द इंडियन वूमन हैल्थ-2021' की इस रिपोर्ट के अनुसार 22 से 55 की उम्र की 59 फीसदी कामकाजी महिलाएं सेहत से संबंधित समस्याओं के कारण नौकरी छोड़ देती हैं. 90 फीसदी महिलाओं को पारिवारिक दायित्वों के कारण दिक्कत होती है.
52 फीसदी महिलाओं के पास नौकरी, पारिवारिक दायित्वों के साथ स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए समय नहीं होता है. रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाएं कार्यस्थल पर सेहत से जुड़ी समस्याओं, पीरियड्स, ब्रैस्ट कैंसर, गर्भाशय समेत तमाम समस्याओं पर बात करने से हिचकती हैं. उन का कहना है कि जब हमारी सेहत की बात आती है तो 80 फीसदी पुरुष सहयोगी संवेदनशील नहीं होते हैं.
चौंकाने वाले परिणाम
देश में प्रत्येक 4 में से 3 नौकरीपेशा महिलाओं का स्वास्थ्य घरदफ्तर की भागदौड़ और उन के बीच संतुलन साधने में कहीं न कहीं कमजोर पड़ जाता है. एसोचैम के एक सर्वेक्षण में यह परिणाम सामने आया है कि दफ्तर का काम, बच्चों और घर की देखभाल की वजह से बने दबाव के चलते उन की दिनचर्या काफी व्यस्त रहती है और समय के साथ कई लंबी और गंभीर बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं.
सर्वेक्षण में पाया गया कि 32 से 58 साल की आयु के बीच की तीनचौथाई कामकाजी महिलाएं अपनी कठिन जीवनशैली के कारण लंबी तथा गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. उन्हें मोटापा, थकान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पीठ दर्द और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां घेर लेती हैं.
Denne historien er fra September Second 2022-utgaven av Grihshobha - Hindi.
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