"चौ दहवीं का चांद हो या आफताब हो, जो भी हो खुदा की कसम लाजवाब हो..." अब यह हुस्न की लाजवाबी जब प्राकृतिक न हो कर आर्टिफिशियल यानी प्लास्टिक सर्जन की बदौलत हो तो भी कोई मलाल नहीं. हर युवती की चाह होती है कि उस के हुस्न का जादू हर किसी के सिर चढ़ कर बोले.
अगर चेहरे पर नाक तीखी हो, होंठ सैक्सी हों, गालों में अगर डिंपल्स हों, भौंहें धनुषाकार हों तो आप को देख कर आह भर उठेगा. कुल मिला कर नख से शिखर तक 100% ब्यूटी का लेबल आप ही के नाम हो सकता है. अगर कुछ ठीक नहीं है तो उसे भी मनमुताबिक कराया जा सकता है क्योंकि प्लास्टिक सर्जन के पास हर चीज का इलाज जो है.
मौडल, फिल्म कलाकारों के लिए तो प्लास्टिक सर्जरी एक ऐसा रामबाण बन गया है कि सालोंसाल आप के हुस्न का जादू बरकरार रहेगा. मगर हर महिला के मन में प्लास्टिक सर्जरी के विषय में कई प्रश्न घूमते हैं कि क्या यह हर एक के बस की बात है ? खर्च कितना आता है? कहां करवानी चाहिए? इस के क्या साइड इफैक्ट्स होंगे? एक बार करवाने के बाद क्या इस हिस्से की प्लास्टिक सर्जरी दोबारा करवाने की भी जरूरत पड़ती है? एक कुशल प्लास्टिक सर्जन की क्या पहचान होती है ? सर्जरी के बाद कैसी सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ती है?
इन तमाम प्रश्नों के उत्तरों के लिए प्रीतम पुरा, दिल्ली स्थित ऐप्पलस्किन कौस्मैटिक ऐंड लेजर क्लीनिक की डयूमैटोलौजिस्ट डा. दीप्ति धवन से बात की. पेश हैं, उसी बातचीत के मुख्य अंश :
नोज सर्जरी करवाने का क्या उद्देश्य होता है किसकिस टाइप की नोज सर्जरी होती है और क्या यह 100% सेफ है?
नोज सर्जरी करवाने का उद्देश्य आमतौर पर यह होता है कि नोज को सही आकार दिया जा सके. इस के द्वारा हम बोन को सही शेप दे सकते हैं. अगर किसी की तोता आकार की नाक है तो हम उसे नोज सर्जरी के द्वारा उठा भी सकते हैं, जिस से पर्सनैलिटी में ग्रेस आने के साथसाथ कौन्फिडेंस भी बढ़ता है. इस में न तो ब्लड टैस्ट करवाने की जरूरत पड़ती है और न ही ऐनेस्थीसिया देने का झंझट. अगर किसी को सर्जरी का नाम सुन कर ज्यादा घबराहट होती है तो सिर्फ उस के कहने पर ही उसे ऐनेस्थीसिया देते हैं और वह भी सिर्फ नोज पोर्शन पर.
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