32 साल की मोना और 37 साल की नेहा 2 अविवाहित बहनें थीं. मोना जहां हंसतीखिलखिलाती सी आजाद विचारों की लड़की थी वहीं नेहा धीरगंभीर और अपने में ही मगन रहने वाली खामोश सी लड़की. नेहा की मुंबई में जौब लगी और वह वहां कमरा ले कर अकेली रहने लगी. कुछ समय बाद मोना को भी वौइस ओवर आर्टिस्ट की जौब मुंबई में ही मिल गई. नेहा खुश थी कि उसे अब अकेले नहीं रहना होगा. दोनों ने मिल कर एक घर किराए पर लिया और मिल कर रहने लगीं.
नेहा के जौब आवर निश्चित थे. वह रोज सुबह 8 बजे निकलती और शाम 6 बजे घर में घुसती जबकि मोना के काम का समय तय नहीं था. कई बार उसे रिकौर्डिंग के लिए शाम को जाना पड़ता और रात को लौटती. तो कभी दोपहर में निकल कर अगले दिन सुबह आती. नेहा को मोना की वजह से टैंशन भी रहती और डिस्टबैंस भी होती. मोना घर के खर्चे में भी बराबर की हिस्सेदारी नहीं देती. समय के साथ मोना ने कुछ और प्रोजैक्ट्स हाथ में ले लिए, उस की सैलरी भी नेहा से ज्यादा हो गई और उस का एक बौयफ्रैंड भी बन गया जो अकसर घर आने लगा.
एक तरफ छोटी बहन की सैलरी अधिक होना और दूसरी तरफ उस के जीने का अलग ढंग नेहा को रास नहीं आ रहा था. शुरूशुरू में तो नेहा ने सब बरदाश्त किया, मगर एक दिन उस के अंदर का लावा फट पड़ा. दोनों बहनों में झगड़ा हुआ और मोना ने अलग कमरा ले कर रहने का फैसला लिया. नेहा ने भी उसे रोका नहीं. दोनों बहनें अलग रहने लगीं और बातचीत भी बंद हो गई.
इस बात को 2 महीने बीत गए. एक दिन दोनों बहनों की कौमन फ्रैंड ने मोना को खबर दी कि नेहा 3 दिन से बहुत बीमार है. उसे तेज बुखार है. मोना ने ऑफिस से छुट्टी ली और तुरंत बहन के पास पहुंच गई. उस ने दिल लगा कर बहन की सेवा की. नेहा की तबीयत ठीक हुई तो उस ने छोटी बहन को गले लगा लिया. दोनों ने गिलेशिकवे दूर किए. नेहा ने मोना को फिर रहने के लिए अपने पास बुला लिया.
अब मोना खयाल रखने लगी थी कि नेहा को क्या बात बुरी लगती है. वह बौयफ्रैंड को घर पर नहीं बुलाती. घर खर्च में पूरा सहयोग करती और नेहा ने भी बहन की छोटीछोटी गलतियों पर ध्यान देना छोड़ दिया.
मिल कर रहने के हैं बड़े फायदे
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