हमारे देश में 50 फीसदी कामकाजी मांओं को महज 30 साल की उम्र में अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ती है. अशोका यूनिवर्सिटी के 'जैनपैक्ट सैंटर फौर वूमंस लीडरशिप' ने 'प्रिडिकेमैंट औफ रिटर्निंग मदर्स' नाम से एक रिपोर्ट जारी की जो कामकाजी मांओं की चुनौतियों पर कराई गई एक स्टडी के आधार पर तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मां बनने के बाद महज 27 फीसदी महिलाएं ही अपने कैरियर को आगे बढ़ा पाती हैं और वर्कफोर्स का हिस्सा बनी रहती हैं. यानी मां बनते ही 73 फीसदी महिलाएं जौब करना छोड़ देती हैं.
प्रोफैशनल सोशल साइट लिंक्डइन ने हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की है जिस के अनुसार भारत में 10 से 7 महिलाएं नौकरी छोड़ने पर विचार कर रही हैं. लिंक्डइन द्वारा साझा की गई रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के नौकरी छोड़ने की सब से बड़ी वजह वर्कप्लेस पर पक्षपात, तनख्वाह में कटौती और काम में फ्लैक्सिबिलिटी की कमी है.
इस रिपोर्ट के लिए करीब 2,266 महिलाओं से बातचीत की गई. इस में महिलाओं के कामकाज और उन से जुड़ी चुनौतियों पर फोकस किया गया. इस रिसर्च से पता चला है कि कोरोना महामारी ने महिलाओं के काम पर बहुत बुरा असर डाला है. इस महामारी के बाद अब देश में करीब 10 से 7 महिलाएं यानी करीब 83% महिलाएं औफिस में ज्यादा फ्लैक्सिबल तरीके से काम करना पसंद करने लगी हैं.
क्यों नहीं कर पाती महिलाएं नौकरी
फ्लैक्सिबिलिटी की कमी के कारण महिलाएं नौकरी छोड़ रही हैं. सर्वे के अनुसार के करीब 70% महिलाएं पहले ही नौकरी छोड़ चुकी हैं या छोड़ने पर विचार कर रही हैं. इस के साथ ही वे उस तरह की नौकरी के ऑफर्स भी रिजैक्ट कर रही हैं जहां उन्हें काम करने के फ्लैक्सिबल आवर्स नहीं मिलते.
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