"मम्मा आज जल्दी से तैयार हो जाओ. हमें कहीं बाहर बाहर चलना है," मीनल ने अपनी मां साधना से कहा.
"मगर जाना कहां है? देख अभी मुझे बहुत काम है, तू जा," कह कर साधना ने उसे टालना चाहा.
मीनल अड़ गई, "कोई नहीं मम्मा मैं काम निबटाने में आप की हैल्प कर देती हूं. आप बस तैयार हो जाओ."
"तैयार क्या होना है, सलवारसूट पहना हुआ है. दुपट्टा डाल लेती हूं," साधना बोली.
"ओके मम्मा, आप तो वैसे भी रोज यही पहनते हो."
"चल ठीक है, अब बता जा कहां रहे हैं हम लोग?"
"अरे मम्मा मेरी फ्रैंड है न दीपा, बस उसी से मिलने जाना है," मीनल ने जवाब दिया.
"अरे तो मुझे ले कर क्यों जा रही है?" ले साधना अभी भी जाने के मूड में नहीं थी.
"मम्मा प्लीज चलो. आप ज्यादा सवाल मत करो. बस मुझे अकेले नहीं जाना इसलिए आप को ले जा रही हूं," मीनल ने बहाना बनाया.
अपने बिखरे हुए बालों का जूड़ा बना कर साधना बेटी के साथ निकल गई. मीनल ने औटो किया. औटो एक ब्यूटीपार्लर के सामने रुका तो साधना चौंकती हुई बोली, "यह तू मुझे कहां ले कर आई है? तू ने तो कहा था दीपा के घर जा रहे हैं पर यह तो ब्यूटीपार्लर है."
"मम्मा यह किसी और का नहीं बल्कि दीपा का ही ब्यूटीपार्लर है."
दीपा ने साधना को बैठाते हुए कहा, "आंटी आप यहां आराम से चेयर पर बैठो. हमें 2-3 घंटे दे दो और फिर जादू देखो आप का पूरा मेकओवर हो जाएगा."
अगले 2-3 घंटे दीपा और उस की सहयोगी ने मिल कर साधना का कायाकल्प कर दिया. उस के बंधे हुए लंबे बालों को खोला. फिर शैंपू कर के स्टैप कट में हेयर कटिंग की. ब्राउन शेड में हेयर कलरिंग भी कर दी. बालों के बाद चेहरे पर मेहनत की गई. फेशियल वगैरह करने के बाद जब हलका सा मेकअप लगाया तो साधना अपनी ही बदली हुई शक्ल देख कर हैरान रह गई.
खुद पर ध्यान न देना
एक समय था जब साधना युवा थी और वह भी अपने चेहरे और बालों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए बहुत कुछ करती थी. मगर शादी के बाद जब बच्चे हुए तो वह पूरी तरह परिवार में रम गई. उस को अपनी केयर करने या खूबसूरत दिखने का खयाल ही नहीं रहता था. 35 साल की उम्र में ही उस के चेहरे पर थकावट और फाइनलाइंस साफ नजर आने लगी थीं.
Denne historien er fra May First 2023-utgaven av Grihshobha - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra May First 2023-utgaven av Grihshobha - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....