परंपरा के नाम पर यह कैसा अंधविश्वास
Grihshobha - Hindi|June Second 2023
न सिर्फ अनपढ़ बल्कि पढ़ीलिखी महिलाएं भी अंधविश्वास के मकड़जाल में फंस कर अपना समय बरबाद कर देती हैं. इस गिरफ्त से वे खुद को क्यों नहीं आजाद कर पा रही हैं, एक बार जानिए जरूर...
प्रतिभा अग्निहोत्री
परंपरा के नाम पर यह कैसा अंधविश्वास

ज सुबहसुबह मौर्निंग वाक पर जाते समय सामने वाली भाभीजी से लिफ्ट में मुलाकात हो गई. आमतौर पर 9 बजे तक सोई रहने वाली सासबहू को इतनी सुबहसुबह सजाधजा देख कर मैं चौंक गई और बोली, “अरे, आज इतनी सुबहसुबह कहां चल दीं आप दोनों?"

"आज शीतला सतमी है न तो उसी की पूजा करने पास के मंदिर में जा रहे हैं, " अपने हाथों में पूजा के थाल की ओर इशारा कर के वे बोलीं और फिर वे दोनों तो कार में बैठ कर पूजा करने चली गईं पर मैं सोच में पढ़ गई कि आज के समय में भी ये पढ़ीलिखीं महिलाएं चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप से बचने के लिए शीतला सप्तमी की पूजा कर के पूरा दिन 1 दिन पूर्व बना बासा खाना खा रही हैं.

इसी प्रकार का एक व्रत होता है वट सावित्री का जिस में महिलाएं यमदूत से भी लड़ कर मृत्यु लोक से अपने पति को वापस ले आने वाली सावित्री देवी की पूजा वरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर करती हैं. इस दिन वे सभी युवा मौडर्न महिलाएं जो कभी लोअरटीशर्ट और जींसटौप के अलावा अन्य किसी परिधान में नजर नहीं आतीं वे सभी सिंदूर से लंबीलंबी मांग भर, हाथों में भरभर चूड़ियां और साड़ी पहने सोलहशृंगार में नजर आती हैं.

घरेलू अंधविश्वास

आगरा शहर के जानेमाने सर्जन की 35 वर्षीय पत्नी सुमेधा पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल है. हरतालिका व्रत में अपने घर की पूजा का सुखद बयां करते हुए वे कहती है “अपार्टमैंट की सभी महिलाएं हमारे घर पर ही एकसाथ पूजा करतीं हैं. निर्जल व्रत करने से शरीर रात्रि तक जबाब दे देता है. चूंकि रात्रि जागरण करना इस पूजा में अनिवार्य है इसलिए हम सभी मिल कर भजन करते हैं जिस से जागरण काफी आसान हो जाता है."

इस व्रत को जहां महिलाएं अपने सुखद दांपत्य के लिए तो कुंआरी लड़कियां अच्छे वर यानी उन्हें भी शंकरजी जैसा वर प्राप्त हो सके.

इन प्रमुख व्रतों के अतिरिक्त बिहार की छठ पूजा, करवाचौथ, सोलह सोमवार, मकर संक्रांति, अनंत चतुर्दशी, नवरात्रि, संतान सप्तमी, हलछठ और महाशिवरात्रि जैसी अनेकों पूजाएं हैं जिन में अधिकांश भारतीय स्त्रियां कभी वरगद, कभी चंद्रमा, कभी सूर्य, कभी बेलपत्र तो कभी शिवपार्वती की पूजा कर के उन से अपने सुख दांपत्य, पति की दीर्घायु, बेटे के उत्तम स्वास्थ्य और परिवार के कल्याण आदि का वरदान मांगती नजर आती हैं.

Denne historien er fra June Second 2023-utgaven av Grihshobha - Hindi.

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