बड़े काम की डिस्टैंट कजिंस से दोस्ती
Grihshobha - Hindi|February Second 2024
विश्वसनीय मित्र के रूप में डिस्टैंट कजिंस से दोस्ती बड़े काम की साबित हो सकती है...
रेणु गुप्ता
बड़े काम की डिस्टैंट कजिंस से दोस्ती

"अरे यार सायमी, आज फ्राइडे है. शाम को मूवी देखने चलें? आज प्रिंसिपल मैडम की झाड़ खा कर मेरा मूड बेहद खराब हो रहा है. थोड़ा चिल करना चाहती हूं. टिकट बुक करवा लूं क्या?" कियारा ने अपनी फ्रैंड सायमी से कहा.

“नहीं यार. आज शाम को तो मूवी बिलकुल नहीं जा पाऊंगी. शाम को अपने कजिंस के साथ मूवी देखने उन्हीं के पास जा रही हूं."

“क्या तेरी कजिंस तुझ से इतने क्लोज हैं कि तू एक पूरी शाम उन के साथ बिताएगी? तू भी न वास्तव में विचित्र है. मौजमस्ती के लिए आउटिंग्स पर फ्रैंड्स के साथ. जाया जाता है या परिवार के साथ."

"अरे भई, मेरे ये डिस्टैंट कजिस मेरे फ्रैंड्स ही हैं. मेरा कजिन मेरी जिंदगी का सब से फ्रैंडली और स्ट्रौंग सपोर्ट सिस्टम है, उन्हीं की वजह से मैं इस अनजान शहर में अकेले रहते हुए लाइफ के हर उतारचढ़ाव को बड़ी आसानी से फेस कर रही हूं. तू इमैजिन नहीं कर सकती, जिंदगी के हर मोड़ पर वे मेरा कितना साथ देते हैं. तू तो अभी इस स्कूल में नईनई आई है. कोई भी तो ऐसा नहीं है जिस से मन की बातें शेयर कर के जी हलका कर सकूं. हम 3 डिस्टैंट कजिस हैं. बचपन से साथ पलेबढ़े हैं. तीनों इसी शहर में हैं. इन फैक्ट मुझे नए शहर में अकेले आने की परमिशन मिली तो वह भी मेरे इन कजिंस की वजह से ही."

निर्भरता खटकने लगी

“मेरा परिवार बेहद रूढ़िवादी और परंपरावादी है. हम जयपुर के पास खैरथल नाम के एक कसबे में संयुक्त परिवार में रहते हैं. हमारे घर के कर्ताधर्ता मेरे ताऊजी हैं. पापा का बिजनैस कोई खास नहीं चलता. उस से तो बस हम 5 सदस्यों के परिवार की दालरोटी ही बेहद मुश्किल से चल पाती है. बड़े खर्चों के लिए हमें ताऊजी का मुंह देखना पड़ता है.

“जब से हम भाईबहन बड़े हुए, हर बात पर ताऊजी पर निर्भरता हमें खटकने लगी. मेरे कुछ डिस्टैंट कजिंस अपने कसबे से निकल कर यहीं जयपुर में जौब कर रहे हैं. यहां नए शहर में आने की परमीशन भी उन्हीं की वजह से मुझे मिली. पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद मेरे लिए नितांत नए और अजनबी शहर जयपुर में नौकरी करने की इच्छा इन्हीं तीनों की वजह से पूरी हुई."

“अच्छा. तो यह बात है."

"बिलकुल. चल मैं आज तुझे डिस्टैंट कजिंस के साथ दोस्ती के फायदे बताती हूं.

Denne historien er fra February Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra February Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA GRIHSHOBHA - HINDISe alt
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
Grihshobha - Hindi

स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी

इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
Grihshobha - Hindi

लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर

फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
Grihshobha - Hindi

समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....

time-read
2 mins  |
November Second 2024
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
Grihshobha - Hindi

पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं

मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...

time-read
3 mins  |
November Second 2024
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
Grihshobha - Hindi

पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस

जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
Grihshobha - Hindi

औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी

औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....

time-read
3 mins  |
November Second 2024
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
Grihshobha - Hindi

क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर

क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....

time-read
4 mins  |
November Second 2024
जब मन हो मंचिंग का
Grihshobha - Hindi

जब मन हो मंचिंग का

फ़ूड रेसिपीज

time-read
4 mins  |
November Second 2024
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
Grihshobha - Hindi

सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी

अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....

time-read
3 mins  |
November Second 2024
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
Grihshobha - Hindi

डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता

पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....

time-read
2 mins  |
November Second 2024