बराबरी का हक महिलाओं का भी
Grihshobha - Hindi|August Second 2024
आमतौर पर खाना बनाने का काम महिलाओं का ही रहा है. सदियों से यह रिवाज चलता आ रहा है कि ये सब काम महिलाएं करेंगी. सवाल है, जब परिवार पति और पत्नी दोनों का है तो क्या दोनों मिल कर काम नहीं कर सकते...
गरिमा पंकज
बराबरी का हक महिलाओं का भी

गर कभी हम अपनी आंखें बंद कर के खाना बनाते किसी शख्स की तसवीर सोचें तो वहां कौन होगा? यकीनन एक मां, एक बहन, एक पत्नी या कुल मिला कर कहें तो एक महिला की तसवीर दिखेगी. हम कभी सोचते हैं कि ऐसा क्यों है? क्यों हमें किचन में पिता, भाई या कोई अन्य पुरुष खाना बनाते हुए नहीं दिखता ? वहीं अगर आप होटल, रेस्तरां या ढाबे जैसी जगहों की बात करें तो हमें कभी महिलाएं नहीं दिखतीं या बहुत कम दिखती हैं.

दरअसल, जहां इस काम के लिए पैसे मिलते हैं वहां अमूमन पुरुषों का कब्जा है. समाज के ये पितृसत्तात्मक मानदंड लोगों को जकड़े हुए हैं. पारिवारिक नियमकायदे सब उसी हिसाब से बने हैं.

हमारे घरों में आमतौर पर खाना बनाने का काम महिलाओं का ही रहा है. सदियों से यह रिवाज चलता आ रहा है कि घरेलू काम जैसे साफसफाई, झाडूपोंछा, कपड़े, बरतन धोना, खाना बनाना, बच्चों को संभालना आदि महिलाएं करेंगी और घर के बाहर के काम पुरुष करेंगे. पहले कमाने की जिम्मेदारी केवल पुरुषों की होती थी मगर आज अनेक महिलाएं भी नौकरी करने लगी हैं.

वे पूरा दिन औफिस में माथापच्ची करती हैं. इस के बावजूद उन्हें घरेलू काम भी साथ में करने होते हैं. चाहे वे कितनी भी व्यस्त हों, भले ही औफिस जाने में कितनी देर हो रही हो, उन्हें हर काम निबटा कर ही जाना होता है. अगर वे ऐसा नहीं कर पा रहीं तो उन्हें नौकरी छोड़ने की सलाह दी जाती है. बच्चा छोटा है तब भी उन्हीं की नौकरी पर गाज गिरती है, जबकि परिवार पति और पत्नी दोनों का है तो क्या उन्हें मिल कर काम नहीं करने चाहिए?

काम का बंटवारा

हम अकसर स्त्रीपुरुष बराबरी या समानता की बात करते हैं. यह आज की जरूरत भी है और स्त्रियों का हक भी. यहां बराबरी यानी समानता से मतलब है समान मौका, समान इज्जत, सामान दायित्व और एक समान अहमियत. आज परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं और बहुत से क्रियाकलाप पुरुष और स्त्रियां दोनों कर सकते हैं जो पहले के जमाने में संभव नहीं था. हजारों लाखों साल पहले ज्यादातर लोग गांवों में रहते थे और चारों ओर जंगल होता था. हर जगह जंगली पशु होते थे. उस समय कोई दुकान भी नहीं होती थी जहां से कुछ खरीदा जा सके.

Denne historien er fra August Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra August Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA GRIHSHOBHA - HINDISe alt
फिल्म वालों की शादी परदे पर कुछ हकीकत में कुछ
Grihshobha - Hindi

फिल्म वालों की शादी परदे पर कुछ हकीकत में कुछ

फिल्म इंडस्ट्री प्यार के लिए जान देने वाली प्रेमिका या प्रेमी की प्रेमगाथा फिल्मों में तो दिखाते हैं, मगर असल जिंदगी में इनका प्यार कैसा होता है, क्या जानना नहीं चाहेंगे.....

time-read
3 mins  |
September First 2024
बौलीवुड में ग्रुपबाजी बहुत है शबीना खान नृत्य निर्देशक
Grihshobha - Hindi

बौलीवुड में ग्रुपबाजी बहुत है शबीना खान नृत्य निर्देशक

एक नृत्य निर्देशक के रूप में शबीना ने न सिर्फ नाम बल्कि पैसा भी कमाया. जानिए, कुछ दिलचस्प बातें खुद उन्हीं से....

time-read
6 mins  |
September First 2024
ऐसे पाएं उभरी नीली नसों से छुटकारा
Grihshobha - Hindi

ऐसे पाएं उभरी नीली नसों से छुटकारा

टांगों व जांघों पर मकड़ीनुमा नीली नसों से कैसे नजात पाएं, जरूर जानिए...

time-read
4 mins  |
September First 2024
इस्तांबुल करीब से देखें इतिहास
Grihshobha - Hindi

इस्तांबुल करीब से देखें इतिहास

कुदरती नजरों और ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना चाहते हैं, तो इस्तांबुल की सैर पर जाइए...

time-read
10 mins  |
September First 2024
नकली बारिश राहत या नुकसान
Grihshobha - Hindi

नकली बारिश राहत या नुकसान

नकली बारिश कैसे होती है और इस के फायदे और नुकसान क्या हैं, एक बार जानिए जरूर...

time-read
6 mins  |
September First 2024
राजस्थानी जायकों की बात निराली
Grihshobha - Hindi

राजस्थानी जायकों की बात निराली

राजस्थान न सिर्फ पर्यटन के लिए, बल्कि अपने विशिष्ट पहनावे और खानपान के लिए भी खासा मशहूर है.....

time-read
5 mins  |
September First 2024
एक नई भाषा है इमोजी
Grihshobha - Hindi

एक नई भाषा है इमोजी

जब शब्द कम पड़ जाएं तो इमोजी उन्हें किस तरह पूरा कर देती है, क्या जानना नहीं चाहेंगे....

time-read
3 mins  |
September First 2024
डिजिटल अरैस्ट ठगी का नया तरीका
Grihshobha - Hindi

डिजिटल अरैस्ट ठगी का नया तरीका

आजकल ठगी का नया ट्रेंड चला है, जिसे औनलाइन अरेस्ट कहते हैं. क्या है यह और कैसे आप इस के शिकार बन सकते हैं, जानिए.....

time-read
2 mins  |
September First 2024
क्या पेरैंटस लव मैरिज के लिए तैयार नहीं हैं
Grihshobha - Hindi

क्या पेरैंटस लव मैरिज के लिए तैयार नहीं हैं

जब आप को हो गया हो प्यार मगर पेरैंट्स इस मैरिज के लिए न हों तैयार, तो फिर क्या करें....

time-read
6 mins  |
September First 2024
टेस्ट में टिवस्ट
Grihshobha - Hindi

टेस्ट में टिवस्ट

फ़ूड रेसिपीज

time-read
2 mins  |
September First 2024