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आपबीती
Naye Pallav
|Naye Pallav 18
साहित्यकारों की जिंदगी में एक ऐसा वक्त भी जरूर आता है, जब प्रशंसकों की तरफ से उन्हें ढेरों पत्र प्राप्त होते हैं और वो खुशी से झूम उठते हैं।

यह एक ऐसा वक्त होता है, जब लेखक अपनी सारी समस्याओं को भूल खुशी का अनुभव करता है। वो पत्रों के सागर में डूब जाता है और लहरों के साथ कल्पना के एक नए शिखर पर पहुंच जाता है। उस पल 'मैं भी कुछ हूं' यह महत्व महसूस होता है। कुछ ऐसा ही अनुभव मैंने सावन महीने में किया, जब मुझे मेरी रचनाओं की प्रशंसाओं से भरा पत्र प्राप्त हुआ। इस पत्र में दिल खोलकर मेरी कृतियों की तारीफें की गई थी।
पत्र भेजने वाले खुद एक उत्तम कवि थे। उनकी कविताएं अक्सर पत्रिकाओं में छपती थीं। मैं उनका यह पत्र पढ़कर फूला नहीं समा रहा था। मैं खुशी के मारे उसी वक्त उस पत्र का जवाब लिखने बैठ गया था । उस उत्साह में मैंने जो कुछ भी पत्र में लिखा, इस समय वो याद नहीं है। हां, इतना याद है कि उस पत्र में शुरू से अंत तक प्रेम भरे मीठे शब्द लिखे थे। हालांकि, मैं कभी कविता नहीं लिखता था, लेकिन फिर भी मैं शब्दों को जितना सुंदर बना सकता था, मैंने उतना संवार दिया था। यहां तक कि पत्र लिखने के बाद जब मैंने उसे फिर से पढ़ा, तो मुझे कविता बहुत पसंद आई। पूरा पत्र भाव से भरपूर था।
पांचवें दिन उसी कवि का एक और पत्र मुझे मिला । वो पहले वाले पत्र के मुकाबले और ज्यादा प्रभावी था। उसमें मुझे प्यारे भाईया कहकर पुकारा गया था। साथ ही मेरी रचनाओं की एक सूची और प्रकाशकों के बारे में उनके नाम और पते पूछे गए थे। इसके साथ ही पत्र के अंत में ये भी कहा गया था कि मेरी पत्नी आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक है और आपकी लेखन को पढ़ना पसंद करती है। साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया था कि मेरी पत्नी पूछ रही थी कि आपकी शादी कहां हुई है, आपके बच्चे कितने हैं और आपकी कोई फोटो है, तो प्लीज भेज दीजिए। वहीं, पत्र में मेरे जन्म स्थान और वंश की भी जानकारी पूछी गई थी। पत्र के उसके अंतिम खबर ने मुझे खुश कर दिया था।
Denne historien er fra Naye Pallav 18-utgaven av Naye Pallav.
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तीन मछलियां
एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय था। \"जलाशय में पानी गहरा होता है, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थीं। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थीं। वह जलाशय लंबी घास व झाड़ियों द्वारा घिरा होने के कारण आसानी से नजर नहीं आता था।
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टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान
समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोड़ा रहता था। अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा। टिटिहरे ने कहा \"यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर।\"
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