
इन किसान-विरोधी नीतिकारों को समझना चाहिए कि एमएसपी गारंटी कानून का अभिप्राय सरकार द्वारा पूरी कृषि उपज खरीदना नहीं है, बल्कि मंडियों में एमएसपी से कम पर होने वाली फसल बिक्री को रोकना है।
सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने से कृषि आय को बढ़ावा मिलेगा, उपभोग मांग बढ़ेगी और फसल विविधीकरण में सहायक होगा। यह देश में टिकाऊ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसानों को बिचौलियों एवं साहूकारों के शोषण से बचाने के लिए सुरक्षा कवच साबित होगा।
देश में प्रचलित कपास की सरकारी खरीद के व्यावहारिक मॉडल के आधार पर, सरकार मंडी में एमएसपी से कम दाम होने पर ही खरीद करेगी, जो वार्षिक कुल कृषि उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम रहेगा। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के अनुसार, सरकार के लिए ऐसी गारंटी की "वास्तविक लागत" कृषि विपणन वर्ष 2023 में लगभग 21,000 करोड़ रुपये थी।
यह वर्ष 2025 में घोषित एमएसपी पर 30,000 करोड़ रुपये से कम ही रहेगी, जिसके लिए सरकार को लगभग 6 लाख करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होगी। लेकिन सरकार के लिए वास्तविक लागत एमएसपी और मंडी कीमतों के बीच का अंतर होगी, जो वित्तीय वर्ष 2023 के लिए मात्र 21,000 करोड़ रुपये बनती है।
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खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन
हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है जिसमें फसल की कम पैदावार, पानी की कमी और कीटों और बीमारियों के खतरों में वृद्धि शामिल है।

जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान
पौधों के हर पहलु का ज्ञान ही कृषि विकास को जन्म देता है।

वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता
डॉ. अकिनवूमी अयोदेजी ऐडसीना अफ्रीकन डिवलपमेंट बैक ग्रुप के आठवें प्रधान हैं। डॉ. ऐडसीना एक प्रतिभाशाली डिवलपमेंट इक्नोमिस्ट एवं एग्रीकल्चरल डिवलपमेंट एक्सपर्ट हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं।

कृषि में बायोगैस का महत्व और पशुधन गोबर का प्रभावी उपयोग
“ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों को पहचानकर उनका प्रभावी उपयोग करना समय की आवश्यकता है। व्यक्तिगत खेतों के संसाधनों का दीर्घकालिक लाभ उनकी समग्र आजीविका सुधार और राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। इसके लिए, खेत के सदस्यों को जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे खेत में उपलब्ध संसाधनों के लाभ और उनके प्रभाव को समझ सकें।”

रबी दलहनों की उपज बढ़ाएं देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं
दलहन हमारे देश की खाद्य सामग्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती, मृदा की उर्वरा शक्ति को कायम रखने और पोषण सुरक्षा में दलहनी फसलों का अति महत्वपूर्ण योगदान है।

भारत में 8 गुणा बढ़ रहा है मृदा क्षण
भारत में मृदा क्षरण की दर वैश्विक दर से कहीं अधिक है। इसके कई कारक हैं जिनमें कृषि उत्पादन हेतु खादों का अनरवत बढ़ता प्रयोग प्रमुख है।

बदलते मौसम का कृषि पर दुष्प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ता प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रहे है, बल्कि खेतों में पैदा हो रही फसलें भी इनसे प्रभावित है।

बायोपोनिक्स : पर्यावरण-अनुकूल खाद्य उत्पादन की एक उपयोगी तकनीक
जलवायु परिवर्तन, गहन खेती के पर्यावरणीय प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमारी खाद्य प्रणाली धीरे-धीरे अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन रही है।