
ब्रह्याण्ड अनन्त है। इसमें अनेक आकाश गंगाएँ और निहारिकाएँ हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में अनगिनत तारे एवं नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक तारे के चारों ओर अनेक ग्रह एवं उपग्रह परिभ्रमण कर रहे हैं। सूर्य भी एक तारा है, जिसके चारों ओर दस ग्रह अब तक की खोज के अनुसार चक्कर लगा हैं। उनमें हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है। पृथ्वी पर जीवन है। अनेक प्रकार के असंख्य जीवजन्तु, वनस्पति आदि इस धरती पर विद्यमान हैं।
जीव विज्ञान के दो वैज्ञानिकों लुई पाश्चर एवं डार्विन ने जीवों के प्रादुर्भाव के बारे में खोज की। डार्विन का विकासवाद का सिद्धान्त तो जगजाहिर है। सर्वप्रथम समुद्र में एककोषीय जीव उत्पन्न हुआ। स्वयं भगवान् विष्णु ने भी मानव शरीर के अतिरिक्त मत्स्य, वराह, कच्छप, नृसिंह आदि जीवों के रूप में अवतार लिया था। मनुष्य प्रकृति के विलक्षण विकासक्रम की अन्तिम कड़ी है। वह अन्य जीवों से -अधिक बुद्धिमान् एवं विवेकी है। उसमें गहन विचार शक्ति निहित है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक ग्रह का पृथक्-पृथक् अधिष्ठाता देवता है। धर्मग्रन्थों ने ग्रहउपग्रहों को देवी-देवताओं का निवास बताया। 33 करोड़ देवता माने गए हैं, जिनका इन्हीं ग्रह-उपग्रहों में निवास है। फलित ज्योतिषियों के अनुसार ये आज भी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हुए बताए गए हैं। वैज्ञानिक अब इस बारे में खोज कर रहे हैं कि अन्य ग्रहों पर जीवन की क्या सम्भावना है? वैज्ञानिकों का मत है कि आकाश के असंख्य पिण्डों से कुछेक में मानव से भी अधिक बुद्धिमान् प्राणी विचरण करते होंगे।
एलियन का रहस्य
अमेरिका एवं यूरोप के कई देशों में एलियन के सन्दर्भ में भी शोधकार्य हो रहा है। कई विमान चालकों ने अंतरिक्ष में एलियन को विचरण करते हुए देखा है। ऐसा उनका विश्वास है। एलियन अन्य ग्रहों से आए हुए प्राणी हैं। चन्द्रमा, मंगल, , गुरु, आदि ग्रहों पर भी वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान भेजे हैं। वहाँ से आने वाली रेडियो तरंगों से संदेश सुने गए हैं। कुछ समीप के ग्रहों के वातावरण का भी अध्ययन किया जा रहा है। हमारे देश के अंतरिक्ष विज्ञानवेत्ता भी इस सन्दर्भ में शोध कर रहे हैं।
Dit verhaal komt uit de April-2023 editie van Jyotish Sagar.
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केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।

मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।

उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।

इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।

'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।

क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।

त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।

लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।

प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।

रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।