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पंजाब जहरीली शराब कांड
ले डूबा नशे का सुरूर
नफरत का बीज बन गया बड़ा पेड़
मनीष कुमार अपने एक दोस्त को बीमारी की हालत में ले कर पटना एनएमसीएच गया था. उस के दोस्त का शुगर लैवल अचानक घट गया था. 3 दिन के इलाज के बाद वह दोस्त नहीं बच सका. उस की कोरोना जांच कराई गई, जिस में वह पौजिटिव निकला.
चुनाव कराने की जिद पर अड़ा सत्ता पक्ष
कोरोना का बढ़ता कहर, न के बराबर सेहत से जुड़ी सेवाएं
क्यों खुदकुशी करना चाहती हैं रानी चटर्जी?
जब भी हम भोजपुरी सिनेमा की बात करते हैं, तो वहां की की बात करते हैं, तो वहां की मांसल देह की गोरी हीरोइनों का चेहरा सामने आ जाता है और साथ ही यह भी सोचने लगते हैं कि जिंदगी है तो बस इन्हीं फिल्म कलाकारों की.
खूबसूरत नेहा कक्क्ड़
बौलीवुड व पंजाब फिल्म इंडस्ट्री की बेहद नामचीन गायिका नेहा कक्कड़ ने 6 जून को अपना 32वां जन्मदिन मनाया था. उन्होंने इतनी जल्दी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ी हैं कि अब वे किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, बल्कि उन का नाम आते ही उन के चाहने वालों के दिलों में हलचल पैदा हो जाती है.
जुल्म की शिकार बेचारी लड़कियां
अपनी सहेली के शादी समारोह से लौट कर जब शिवानी ने रात के 11 बजे घर की डोरबैल बजाई, तो उस के गुस्साए पापा ने दरवाजा खोलते ही कहा, 'ऐयाशी कर के आ गई... घर आने का यही समय है क्या?'
आशुतोष राणा गांव की मिट्टी से उपज कलाकार
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले कलाकरों में शुमार आशुतोष राणा का जन्म मध्य प्रदेश के छोटे से कसबे गाडरवारा में हुआ था. वहीं से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वे ग्रेजुएशन करने मध्य प्रदेश के सागर इलाके में चले गए थे.
पैसे कम फिर भी नंबर ज्यादा
इस बात में कोई शक नहीं कि भारती खांडेकर के नंबर बहुत ज्यादा नहीं हैं, लेकिन उस के बारे में जानने के बाद लगता है कि वह किसी टौपर से कम नहीं.
बाबा की करतूतों से फैला कोरोना
हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी अज्ञानता और अंधविश्वास के चलते बाबा, संतमहात्मा, पीरफकीरों के चक्कर में पड़ा हुआ है. इन ढोंगियों की बातों में पड़ कर गांवदेहात के लोग अपना सबकुछ लुटाने को तैयार रहते हैं.
विकास दुबे ऐनकाउंटर कई राज हुए दफन
आखिरकाउंटर में उत्तर प्रदेश खिरकार एक तथाकथित ऐनकाउंटर में उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा गैंगस्टर विकास दुबे के साथ ही एक गहरे सच की भी हत्या कर दी गई. अपराध, राजनीति, कारोबार और पुलिस के नैक्सस के भंडाफोड़ का जो खतरा विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद से लगातार कई सफेदपोशों और खाकीधारियों के सिर पर मंडरा रहा था, वह विकास दुबे की हत्या के साथ ही खत्म हो गया है.
गांव में बेबस मजदूर
लौकडाउन का 3 महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी सरकार प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के अलावा रोजगार का कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखा पाई है. एक मनरेगा योजना कितने मजदूरों का सहारा बन पानी?
आपदा बनी सत्ता के लिए एक अवसर
कहा जाता है कि आपदा अपने साथ मौके ले कर आती है. सत्ता साजिशों में कामयाब होती है, तो उन्हें अपने लिए मौकों में तबदील कर लेती है और जनता जागरूक व लड़ाकू होती है, तो हालात को अपने मुताबिक ढाल लेती है.
चलते चलते पिटते मजदूर बेरहम सरकार
भारत में जब कोरोना महामारी के बाद लौकडाउन शुरू हुआ था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर लोगों का चलना रुक गया था, रात को दीए जलाए गए थे और तालियां पीटी गई थीं. तब लगा था कि पूरा देश एक है और हम सब मिल कर इस मुसीबत से लोहा ले लेंगे.
लुटतेपिटते मजदूर सरकार नदारद
लुटतेपिटते मजदूर सरकार नदारद
लौकडाउन में घर लौटती औरतें
लौकडाउन के चलते देश के बड़े शहरों से अपने गांव लौट रहे मजदूरों में सब से ज्यादा मुसीबतें उन की औरतों को झेलना पड़ी हैं. दुधमुंहे बच्चों को अपनी छाती से चिपकाए चुभती धूप में वे यही आस लिए पैदल चल रही हैं कि जल्द से जल्द अपने घर पहुंच सकें.
नए रूप में कबूतरबाजी
हमारे देश में कोरोना के चलते लौकडाउन में काफीकुछ बदल गया है. चलनाफिरना, आनाजाना, खरीदफरोख्त, लाना व ले जाना और भी बहुतकुछ. सफर करना तो लौक है ही.
बैंडबाजा और बरात अब कल की बात
कोरोना वायरस के कहर ने जहां शादियों की रफ्तार थाम दी है, वहीं इस का सब से ज्यादा खमियाजा कौन भुगत रहा है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...
औरतें, शराब और कोरोना
आजकल एक चुटकुला बहुत वायरल हो रहा है और वह यह कि लोग तो लौकडाउन का पालन कर पा रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं कर सकी. तभी तो सरकार ने लौकडाउन के बावजूद 40 दिनों से बंद शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया, ताकि देश की माली हालत संभाली जा सके.
चोरीछिपे घरों की ओर भाग रहे मजदूर
केंद्र और प्रदेश की सरकारों के लाख दावों के बाद भी मजदूर अभी भी अपने घरों तक नहीं पहुंचे हैं. धीरेधीरे जैसेजैसे पुलिस की कार्यवाही थोड़ी नरम पड़ती जा रही है, वैसेवैसे जिलों की अलगअलग फैक्टरियों से निकल कर मजदूर अपने घर का रास्ता पकड़ रहे हैं.
लौकडाउन में पाएं खूबसूरत त्वचा
मौसम करवट बदल रहा है. गरमी का मौसम आ चुका है. लौकडाउन के चलते सभी अपने घरों में दुबके हुए हैं. वे बाहर की धूल, प्रदूषण से फिलहाल बचे हुए हैं, पर गांवदेहात और छोटे कसबों में घर से बाहर निकलना हो ही जाता है. पर उस में भी सावधानी बरतनी चाहिए. बाहर जाते समय मास्क का इस्तेमाल करें और वापस आने पर अच्छे से अपना हाथमुंह धो लें.
लौकडाउन में उजड़ने लगी हैं देह धंधे की मंडियां
लौकडाउन में उजड़ने लगी हैं देह धंधे की मंडियां
एंबुलैंस की कमी में बच्चे ने तोड़ा दम
जब इस मामले ने ज्यादा तूल पकड़ लिया, तो डीएम नवीन कुमार ने अस्पताल मैनेजर को सस्पेंड कर दिया और सिविल सर्जन से जवाबतलब किया. 2 डाक्टरों और 4 नों पर कार्यवाही के लिए स्वास्थ्य विभाग को डीएम ने चिट्ठी भी लिखी.
कोरोना कहर में भी बुजुर्ग नहीं टिक रहे घर में
कोरोना बीमारी के बेतहाशा बढ़ने के चलते जब से लोगों को घर में रहने की सलाह दी गई है, मेरे 70 साल के पापा की बेचैनी बढ़ गई है.
मोटरसाइकिल पर सवाल फिल्मी कलाकार
जीटीएस 175. कुछ समझे ? अगर नहीं तो हम बताते हैं कि यह एक मोटरसाइकिल का नाम है. लेकिन हमारा पक्का दावा है कि आप के पल्ले अभी भी कुछ नहीं पड़ा होगा. चलो, इसे बिलकुल आसान कर देते हैं. हिंदी फिल्म 'बौबी' तो याद होगी न?
सिंधिया के आने से मजबूत होगी भाजपा
मैं तो बहुतकुछ करना चाहता हूं, लेकिन फलाना मुझे करने ही नहीं देता', नौकरी और कारोबार से ले कर निजी जिंदगी में ऐसी बातें हर कोई कहता नजर आ जाएगा, फिर राजनीति की तो बात ही कुछ और है, जिस में गैरों से ज्यादा अपनों से निबटने में पसीने छूट जाते हैं.
मोटरसाइकिल का रखरखाव है जरूरी
अमित अपने दोस्तों के साथ अकसर बाइक ट्रिप पर जाया करता है. कालेज सैमेस्टर खत्म होने के बाद अमित और उस के दोस्तों ने बाइक से लेहलद्दाख जाने का प्लान बनाया, पर चंडीगढ़ से कुछ दूरी पर ही अमित की बाइक खराब हो गई. सफर बीच रास्ते में ही रुक गया.
शर्मीली बन गई खूरेंजी
बस्तर की शर्मीली औरतें लाल गलियारे में रह कर खूरेजी औरतें बन गई हैं. उन के हाथ में न केवल नक्सली नैटवर्क की कमान है, बल्कि वे किसी बड़े हमले की अगुआई भी करती हैं.
ग्लैमर बिना फिल्में अधूरी होती हैं - सहर आफसा
भोजपुरी फिल्म 'मेहंदी लगा के रखना 3' में खेसारीलाल यादव के साथ नई हीरोइन सहर आफसा ने अपनी अदाकारी दिखाई है. सहर आफसा बैंगलुरु की रहने वाली हैं और पहले उन का भोजपुरी से कोई रिश्ता नहीं था. अब वे यशी फिल्म्स, अभय सिन्हा और इज माई ट्रिप डौट कौम प्रस्तुत और रेणु विजय फिल्म्स ऐंटरटेनमैंट बैनर तले बनी भोजपुरी फिल्म 'मेहंदी लगा के रखना 3' में पहली बार काम कर रही हैं. साउथ की रहने वाली सहर आफसा भोजपुरी फिल्मों में ऐक्टिंग कर रही हैं. पेश हैं, इस मुद्दे पर सहर आफसा से हुई बातचीत के खास अंश:
कागज रखें पुलिस की जबरदस्ती
कागज रखें पुलिस की जबरदस्ती
रोशन बाग को चाहिए . अमन से भरा वतन
हम देखेंगे. लाजिम है कि हम भी देखेंगे...' मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने जब यह नज्म लिखी होगी तो यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये लाइनें इसी देश की औरतों के लिए मुनादी बन जाएंगी.