योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनजजय।
सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
||१-३७।।
सन्धिछेदम् :
योगस्थः, कुरु, कर्माणि, सङ्ग, त्यक्वा, धनजय।
सिद्यसियोः, समः, भूत्वा, समत्वम्, योगः, उच्यते।।
अन्वयः
धनञ्जय! सङ्गं त्यक्त्वा सिद्ध्यसियोः।
समः भूत्वा योगस्थः कर्माणि कुरु।
समत्वं योग: उच्यते ।।
शब्दार्थ :
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