मौजूदा समय में किसान अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग कर रहे हैं जिस कारण भूमि की सेहत में गिरावट आ रही है और भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है। यदि देखा जाए तो हरित क्रांति की शुरूआत में आधा अथवा एक थैला यूरिया का प्रति एकड़ गेहूं में डालने से उत्पादन पूरा प्राप्त होता था। परन्तु आज किसान डी.ए.पी. के साथ-साथ 3-4 थैले यूरिया के डाल रहा है परन्तु फिर भी उत्पादन में वृद्धि नहीं हो रही। इसका कारण यह है कि शुरूआत में हमारी भूमि में भी कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक थी जिस कारण कम खाद से उत्पादन पूरा प्राप्त होता है। आज हम अधिक उत्पादन लेने के लिए अधिक से अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे उत्पादन में वृद्धि नहीं हो रही बल्कि कीट व रोगों का हमला बढ़ने से कृषि लागतों में वृद्धि हो रही है जिस कारण कृषि आमदनी कम हो रही है। इसलिए यह समझना समय की आवश्यकता है कि देसी अथवा हरी खादों के प्रयोग की कमी के कारण हमारी भूमि की उपजाऊ शक्ति व सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। भूमि का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। इसलिए भूमि की सेहत व उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने के लिए देसी व हरी खादों का प्रयोग करना समय की आवश्यकता भी है।
जैविक खाद अथवा देसी खाद वह खाद है जो पशुओं के मलमूत्र, फार्म से मिल रहे फसलों के अवशेष अथवा कृषि उपज पर आधारित कारखानों से प्राप्त होती है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट, मुर्गियों की खाद, गंडोया खाद, प्रैस-मड, गोबर गैस प्लांट की सलरी, धान के पुआल की राख इत्यादि इस श्रेणी में आती हैं। इनमें से गोबर की खाद सबसे अधिक प्रचलित है परन्तु इनकी सांभ- संभाल में बहुत कमियां देखी जाती हैं। इसी तरह हरी खाद से भावार्थ खेत में किसी फलीदार फसल के हरे पदार्थ को भूमि में दबाने से है ताकि यह दबी फसल बाद में बोई गई फसल के लिए लाभदायक हो सके। ढैचा, ग्वार, रवां, मूंग इत्यादि की खेती इस उद्देश्य के लिए की जाती है।
This story is from the 15th September 2022 edition of Modern Kheti - Hindi.
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।