
कृषि लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब खेतों में श्रमिकों की जगह रोबोट काम करते नजर आएंगे। इतना ही नहीं फसलों पर ड्रोन्स के माध्यम से नजर रखी जाएगी। लेबर की कमी के कारण किसान खेती छोड़ रहे हैं। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अपनाया जाना और भी जरूरी है। ड्रोन से फसलों पर स्प्रे के साथ उनकी मॉनिटरिंग की जा सकती हैं। वहीं रोबोट से लेबर का काम लिया जा सकता है। आधुनिक तकनीक से खेती के बारे में सही आंकड़े जुटाने और मशीनीकरण से लागत को घटाकर आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए खेती लागत घटाकर व गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। हमें कृषि में सेंसर बेस्ड टैक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना होगा। इस टैक्नोलॉजी में लोकेशन सेंसर, ओप्टीकल सेंसर, इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर, मैकेनिकल सेंसर व एयर फ्लो सेंसर का इस्तेमाल करना चाहिए।
आधुनिक तकनीकों से मिट्टी की गुणवत्ता, नमी, पीएच, न्यूट्रेंट, नमी सहित कई तरह की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। फसल की कटाई में लेबर की जगह रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है। डेयरी व्यवसाय की गतिविधियों में रोबोट इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं।
This story is from the 15th November 2022 edition of Modern Kheti - Hindi.
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
परिचय : अरवी की खेती उत्तरी भारत में नगदी फसल के रूप में की जाती है। इससे प्राप्त घनकंदों तथा गांठों का प्रयोग शाक की तरह करते हैं।

पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
केरल कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने तरबूज की ऐसी किस्म विकसित की है, जो अपने रंग और बिना बीजों की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, नई किस्म के तरबूज का गुद्दा लाल की बजाये ऑरेंज कलर का है।

कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
सूरजमुखी विश्व की प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मूल स्रोत उत्तरी अमेरिका है।