आजकल प्राकृतिक खेती के बारे में बहुत चर्चाएं चल रही हैं। हरित क्रांति के बुरे प्रभावों से परिचित होने के बाद प्राकृतिक खेती की बात पूरे जोरों से शुरू हो रही है। इसके बड़े कारण हैं कि हरित क्रांति को कामयाब करने के बाद यह परिणाम सामने आए हैं कि पर्यावरणिक परिस्थितियों में बहुत बड़े बदलाव आए जिस कारण खेती विकास के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। दूसरा हरित क्रांति के दौरान खाद-स्त्रों के अंधाधुंध प्रयोग से इन रा के प्रभाव मानवीय शरीरों एवं जानवरों में देखने को मिल रहे हैं। आज लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से वह समझ रहे हैं कि प्राकृतिक ढंगों से पैदा किया भोजन ही उनके स्वास्थ्य को ठीक रख सकता है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। यदि हरित क्रांति से पहले दृष्टि डाली जाये तो हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या को कृषि से ही रोजगार मिल रहा था। उस समय जो पद्धतियाँ कृषि में इस्तेमाल की जा रही थीं वह सभी पर्यावरण हितैषी एवं मानवता की भलाई वाली थीं। परन्तु जैसे ही व्यापारिक कृषि अथवा कहा जाये रासायनिक खेती की तरफ कदम बढ़े उसके साथ खेती में यद्यपि उत्पादन बढ़ा और किसानों की आमदनी बढ़ी। परन्तु भोजन के मानक में दिनों-दिन गिरावट दर्ज की जा रही है। यद्यपि आज हमारे पास हर तरह की फलसब्जियां, अनाज एवं दालों की उपलब्धता पहले की अपेक्षा अधिक है। हर एक को खाना मिल रहा है। परन्तु फिर भी हमारे देश की 40-50 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषण का शिकार है। रासायनिक खेती में लागतें लगातार बढ़ रही हैं। उसके मुकाबले किसानी आमदनी लगातार कम हो रही है। इसके साथ ही पर्यावरणिक परिस्थितियों में बिगाड़ पैदा हो रहा है। रसायन युक्त भोजन भी मानवता के लिए बुरे परिणाम पैदा कर रहा है। अभी जहर मुक्त एवं शुद्ध भोजन की माँग को देखते हुए और पर्यावरणिक परिस्थितियों को सुधारने के लिए खेती की ऐसी पद्धतियों की जरूरत है जिससे जहर मुक्त भोजन मिले और पर्यावरण की भी संभाल हो सके।
इसको देखते हुए भारत सरकार ने 'नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग' अधीन प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाई गई है, इस मिशन अधीन 'भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति को प्रोत्साहित किया जाएगा।
This story is from the 1st March 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the 1st March 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।