
पिछले दिनों अमृतसर-जयनगर-अमृतसर रेल मार्ग से गुजरते हुये लगभग 1500 किलोमीटर की यात्रा करने का अवसर मिला। मार्च के दूसरे सप्ताह में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर जाते समय पूरे मार्ग पर रेल लाइन के किनारे खेतों में लहलहाती फसल देखकर बे इंतेहा खुशी हो रही थी। उम्मीद थी कि एक सप्ताह बाद वापसी में जहाँ कुछ फसलें खासकर गेहूं की फसल तैयार हो रही होगी, 'मेरे देश की धरती सोना उगले', जैसा आभास होगा वहीं संभवतः कुछ खेत ऐसे भी नजर आयेंगे जिनकी फसल काटने को भी तैयार होगी। परन्तु 24-25 मार्च की वापसी में तो लगभग पूरे 1500 किलोमीटर के रास्ते का दृश्य ही अत्यंत भयावह था। उत्तर भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में हुई बे मौसम की मूसलाधार बारिश और साथ ही कई जगहों पर हुई ओलावृष्टि व तूफानी हवाओं ने तो सारी फसलों को तबाह कर दिया था। खेतों में खड़ी फसल जमीन पर बिछी हुई नजर आ रही थी। किसानों की जो फसल खेत में कटने के लिये लगभग तैयार खड़ी थी तथा कई इलाकों में कटी हुई गेहूं की फसल, सब चौपट हो चुकी थी। आम और लीची पर आई बौर बुरी तरह झड़ चुकी थी। केवल बिहार व उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तरांचल व राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे और भी कई राज्य इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ चुके हैं जिनकी वजह से देश के किसानों के चेहरे की रौनक समाप्त हो गई है। प्रकृति की मार ने किसानों की कमर को तोड़ दी है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेस) के सक्रिय होने की वजह से मौसम में यह बदलाव देखा जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप राजधानी दिल्ली समेत उत्तरांचल, राजस्थान, हरियाणा पंजाब, मध्य प्रदेश व महारष्ट्र सहित व उत्तर भारत के तमाम इलाकों में बे मौसमी बारिश के साथ 40 से साठ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से तेज हवाएं चलीं और तमाम जगहों पर ओले गिरे जिसके परिणाम स्वरूप किसानों को फसलों की तबाही का सामना करना पड़ा।
This story is from the 1st May 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
परिचय : अरवी की खेती उत्तरी भारत में नगदी फसल के रूप में की जाती है। इससे प्राप्त घनकंदों तथा गांठों का प्रयोग शाक की तरह करते हैं।

पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
केरल कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने तरबूज की ऐसी किस्म विकसित की है, जो अपने रंग और बिना बीजों की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, नई किस्म के तरबूज का गुद्दा लाल की बजाये ऑरेंज कलर का है।

कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
सूरजमुखी विश्व की प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मूल स्रोत उत्तरी अमेरिका है।