किसान अपनी आमदनी कैसे बढ़ायें?
Modern Kheti - Hindi|December 01, 2023
हमारे देश के किसान दिन-रात मेहनत करके देशवासियों के उदर पूर्ति के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं, फिर भी हमारे देश में खाद्यान्न की समृद्धि के बावजूद, जनसंख्या वृद्धि के कारण गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न की कमी लगातार बनी हुई है।
डॉ. रविन्द्र कुमार राजपूत, विषय वस्तु विशेषज्ञ, (मृदा विज्ञान) केवीके, दुवासू, मथुरा अनुपमा वर्मा, परास्नातक छात्रा, शस्य दैहिकी विभाग कृषि महाविद्यालय, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि कानपुर, डा प्रदीप राजपूत शोध छात्र, (सस्य विज्ञान) सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रो. विवि, मोदीपुरम मेरठ-250110। श्रीमती ज्योति वर्मा, परास्नातक छात्रा सस्य विज्ञान, संस्कृति विवि, मथुरा
किसान अपनी आमदनी कैसे बढ़ायें?

इसलिए कृषि से जुड़े लोगों का अधिक उपज एवं गुणवत्तायुक्त उत्पादन और समृद्धि खेती की ओर आकर्षित करना आवश्यक है। समृद्ध खेती भूमि की दशा, कृषि निवेशों, समय पर सभी सस्य क्रियाएं, कृषि यंत्रों की उपलब्धता एंव जलवायु आदि पर निर्भर करती है। कृषक की आय बढ़ाने हेतु दो ही मुख्य बिंदु हैं जिसमें पहला गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि और दूसरा लागत कम करके कृषक की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। कृषि की लागत मुख्यतयः बीज, उर्वरक, पौध संरक्षण, रसायन, सिंचाई तंत्र एवं जैविक खादों का प्रयोग एवं खेती की आधुनिक विधियों का प्रयोग सरकार द्वारा कृषकों के हित में आवश्यक कदम उठाने चाहिएं जैसे भण्डारण की व्यवस्था, आवागमन के साधन, मूल्य संवर्धन संयंत्र आदि लगवाकर, उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाकर लागत कम की जा सकती है। कृषि की प्रति इकाई सही समय पर सही तरह से उपयोग करके एवं इनका फिजूलखर्ची रोक कर इसके विकल्प ढूंढकर खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। नीचे दिए गए कुछ विकल्पों को अपनाकर किसान अपना गुणवत्तायुक्त एवं बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जो आज के हिसाब से नितांत आवश्यक है।

1. मृदा का परीक्षण के बाद ही संतुति के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें

खेती की लागत कम करने तथा उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादन लेने हेतु सबसे जरुरी है कि किसी भी फसल की बुवाई करने से पूर्व अपने खेत की मिट्टी से भली भांति परिचित हो लें। इसके लिए अपने खेत की मिट्टी का प्रतिनिधि नमूना लेकर सभी पोषक तत्वों की जांच अपनी नजदीकी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से कराएं। रिपोर्ट में दी गई संस्तुतियों के आधार पर ही फसल के हिसाब से पोषक तत्वों का देना सुनिश्चित करें, जिससे सही उर्वरक, सही मात्रा, सही समय, सही जगह पर दिया जा सके, जिससे अंधाधुंध उर्वरकों के प्रयोग पर पाबंदी लग सके तथा आवश्यक उर्वरकों को ही खेत में पूर्ति करके करीब 10 से 15 प्रतिशत लागत को घटाया जा सकता है।

2. फसल बीमा करवाकर जोखिम से बचें

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